‘लव मैरिज’ के 24 घंटे बाद ही तलाक, पति की नौकरी का सच सामने आते ही डॉक्टर पत्नी ने तोड़ा रिश्ता

रिश्तों की डोर कितनी नाजुक हो सकती है, इसका एक हैरान करने वाला मामला पुणे में सामने आया है। यहां एक प्रेमी जोड़े का रिश्ता शादी के महज 24 घंटे बाद ही कानूनी रूप से खत्म हो गया। तीन साल के प्रेम संबंध (लव मैरिज) के बाद डॉक्टर पत्नी और इंजीनियर पति ने विवाह किया था, लेकिन शादी के तुरंत बाद ही रहने की व्यवस्था को लेकर उभरे मतभेदों ने उन्हें अलग होने पर मजबूर कर दिया।

शादी के दूसरे ही दिन अलग हुए रास्ते

आम तौर पर अदालतों में तलाक के मामले लंबे समय तक लंबित रहते हैं, लेकिन इस मामले में कानूनी प्रक्रिया बेहद तेजी से पूरी हुई। रिपोर्ट्स के मुताबिक, शादी के अगले ही दिन पति-पत्नी ने महसूस किया कि उनके बीच तालमेल बैठना मुश्किल है और उन्होंने तुरंत अलग रहने का फैसला किया।

मामले की पैरवी करने वालीं एडवोकेट रानी सोनावणे ने बताया कि विवाद की मुख्य वजह पति की नौकरी से जुड़ी अनिश्चितता थी। शादी से पहले इस बारे में स्पष्ट चर्चा नहीं हुई थी। शादी के बाद इंजीनियर पति ने खुलासा किया कि वह एक शिप (जहाज) पर काम करते हैं, लेकिन वह यह बताने में असमर्थ थे कि उनकी पोस्टिंग कहां होगी या वे कितने समय तक बाहर रहेंगे।

विचारों में गहरा मतभेद

भविष्य में रहने की व्यवस्था और पति की अनुपस्थिति को लेकर स्थिति स्पष्ट न होने के कारण दोनों के बीच गतिरोध पैदा हो गया। पेशे से डॉक्टर पत्नी इस अनिश्चितता के साथ समझौता करने को तैयार नहीं थीं।

एडवोकेट सोनावणे ने कहा, “यह एक लव मैरिज थी और दोनों एक-दूसरे को शादी से दो-तीन साल पहले से जानते थे।” उन्होंने हैरानी जताई कि शादी से पहले इतने लंबे रिश्ते के दौरान पति की नौकरी और भविष्य के आवास जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा क्यों नहीं की गई।

आपसी सहमति से शांतिपूर्ण समाधान

जहां तलाक के मामलों में अक्सर एक-दूसरे पर गंभीर आरोप-प्रत्यारोप लगते हैं, वहीं यह मामला पूरी तरह से अलग रहा। एडवोकेट सोनावणे ने स्पष्ट किया कि पति और पत्नी दोनों ने बिना किसी हंगामे के आपसी सहमति से अलग होने का निर्णय लिया।

वकील ने कहा, “महत्वपूर्ण बात यह है कि इस मामले में हिंसा या किसी आपराधिक कृत्य का कोई आरोप नहीं था। दोनों पक्षों ने कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए शांतिपूर्वक विवाह समाप्त करने का विकल्प चुना।”

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अदालत ने भी मामले की परिस्थितियों और सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखते हुए तेजी से निर्णय लिया। यह मामला इस बात का उदाहरण है कि शादी से पहले पारदर्शिता और भविष्य की योजनाओं पर खुलकर बात करना कितना अनिवार्य है, चाहे रिश्ता कितना भी पुराना क्यों न हो।

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