ओडिशा हाईकोर्ट ने एक पुलिस सब-इंस्पेक्टर पर लगे रेप के आरोपों को खारिज करते हुए स्पष्ट किया है कि यदि कोई रिश्ता शादी में नहीं बदलता है तो इसे अपराध नहीं माना जा सकता। यह फैसला न्यायमूर्ति संजीब पाणिग्राही ने सुनाया, जिन्होंने कहा कि यदि कोई संबंध विवाह में नहीं बदलता तो यह आपराधिक धोखाधड़ी नहीं माना जा सकता।
महिला ने आरोप लगाया था कि पुलिस अधिकारी ने शादी का झूठा वादा कर उससे शारीरिक संबंध बनाए। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि किसी रिश्ते के टूटने से उत्पन्न व्यक्तिगत पीड़ा को अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। कानून हर टूटे वादे को अपराध नहीं मानता और न ही हर असफल रिश्ते को अपराध की श्रेणी में डालता है। यह रिश्ता 2012 में शुरू हुआ था जब दोनों संबलपुर जिले में एक कंप्यूटर कोर्स कर रहे थे। दोनों बालिग थे और अपनी इच्छानुसार निर्णय लेने में सक्षम थे।
महिला ने 2021 में पहली बार सब-इंस्पेक्टर पर रेप का आरोप लगाया, यह दावा करते हुए कि उसने शादी का झूठा वादा किया था। महिला ने यह भी दावा किया कि उन्होंने संबलपुर के समलेश्वरी मंदिर में शादी की थी और स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत अपनी शादी का पंजीकरण कराने के लिए आवेदन किया था, लेकिन आरोपी निर्धारित तिथि पर कोर्ट में पेश नहीं हुआ।
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2023 में मामला तब और बढ़ गया जब महिला ने फैमिली कोर्ट में याचिका दायर कर खुद को आरोपी की कानूनी पत्नी घोषित करने की मांग की और उसके किसी और से शादी करने पर रोक लगाने की अपील की। हालांकि, हाईकोर्ट ने अपने हालिया फैसले में स्पष्ट किया कि कानून और समाज दोनों में सेक्स और शादी के बीच के फर्क को समझना जरूरी है।
न्यायमूर्ति पाणिग्राही ने अपने फैसले में महिलाओं की यौन स्वतंत्रता और विवाह की सामाजिक बाध्यताओं जैसे गहरे मुद्दों पर भी टिप्पणी की। उन्होंने यह भी कहा कि यह एक पितृसत्तात्मक सोच है कि महिला की यौन स्वतंत्रता तभी वैध है जब वह विवाह से बंधी हो। कोर्ट ने महिला के अपने शरीर और संबंधों के बारे में स्वतंत्र निर्णय लेने के अधिकार को मान्यता दी।