ओडिशा हाईकोर्ट ने गंधमर्दन कोऑपरेटिव सोसायटी घोटाले में दो आरोपियों की जमानत याचिका खारिज की

ओडिशा हाईकोर्ट ने शुक्रवार को गंधमर्दन लोडिंग एजेंसी एंड ट्रांसपोर्टिंग कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड से जुड़े करोड़ों रुपये के वित्तीय घोटाले के मामले में दो आरोपियों — सौम्य शंकर चक्र उर्फ राजा और सुसंत कुमार सामल — की जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं।

न्यायमूर्ति गौरीशंकर सतपथी ने अपने आदेश में कहा कि “जमानत व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सामाजिक हित के बीच संतुलन का मामला है,” लेकिन यह भी माना कि आरोपी “प्रभावशाली व्यक्ति” हैं जो गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा, “घोटाले की गंभीरता और चल रही जांच को देखते हुए इस चरण में जमानत देना उचित नहीं होगा।”

यह मामला उस सहकारी समिति से जुड़ा है जो केओंझर ज़िले में खनन कार्यों से प्रभावित ग्रामीणों के कल्याण के लिए बनाई गई थी। आरोप है कि समिति के पदाधिकारियों ने वर्ष 2017–18 से 2023–24 के बीच हर साल 40–50 करोड़ रुपये तक का गबन किया।

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आर्थिक अपराध शाखा (EOW) की जांच में खुलासा हुआ कि समिति की घोषित आय ₹184 करोड़ के मुकाबले ₹175 करोड़ से अधिक के संदिग्ध लेन-देन हुए। जांच अधिकारियों के अनुसार ₹31 करोड़ से अधिक राशि असंबंधित खातों में ट्रांसफर की गई — जिसमें ₹12.9 करोड़ राशि चक्र के सहयोगियों के माध्यम से निकाली गई और ₹9.39 करोड़ एक पेट्रोल पंप को भुगतान किया गया, जबकि उसका कोई वैध लेन-देन नहीं था।

सुसंत कुमार सामल को समिति के खाते से ₹1.64 करोड़ प्राप्त हुए पाए गए। उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने “परिधीय विकास” कार्यों के नाम पर 51 स्व-चेक पर हस्ताक्षर किए, जबकि सरकारी अधिकारियों ने बाद में पुष्टि की कि ऐसा कोई विकास कार्य हुआ ही नहीं।

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चक्र और सामल को मार्च 2025 में गिरफ्तार किया गया था। हाईकोर्ट ने इससे पहले मार्च में चक्र की अग्रिम जमानत और मई में नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी थी। अगस्त में केओंझर की निचली अदालत ने उन्हें केवल अपने ससुर के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए 15 दिन की अंतरिम जमानत दी थी।

EOW द्वारा अभी भी फंड के प्रवाह और अन्य लाभार्थियों की भूमिका की जांच जारी है। ऐसे में अदालत ने माना कि इस समय आरोपियों को रिहा करने से जांच प्रक्रिया पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

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