उड़ीसा हाईकोर्ट ने बरहमपुर एसपी से उपचुनाव याचिका पर सार्वजनिक बयान को लेकर मांगा स्पष्टीकरण; अवमानना की चेतावनी दी

उड़ीसा हाईकोर्ट ने बरहमपुर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) सरवणा विवेक एम को एक अधीनस्थ (sub judice) चुनाव याचिका पर सार्वजनिक बयान देने को लेकर फटकार लगाई है और पूछा है कि उनकी इस टिप्पणी को न्यायालय की अवमानना क्यों न माना जाए।

न्यायमूर्ति सशिकांत मिश्रा की एकलपीठ ने शुक्रवार को पारित आदेश में एसपी को निर्देश दिया कि वे 7 नवंबर तक अपना लिखित स्पष्टीकरण प्रस्तुत करें, जिस दिन मामले की अगली सुनवाई होगी।

हाईकोर्ट ने गंभीर असंतोष जताते हुए कहा कि एसपी ने 22 अक्टूबर को मीडिया से बातचीत में बरहमपुर के विधायक के. अनिल कुमार से संबंधित लंबित चुनाव याचिका का ज़िक्र करते हुए उसे भाजपा नेता व अधिवक्ता पिताबस पांडा की हत्या के मामले से जोड़ दिया।

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एसपी ने अपने बयान में कहा था कि “जांच के दौरान, एक चुनाव याचिका बिक्रम पांडा और सिबा शंकर दाश के बीच सामान्य कड़ी के रूप में सामने आई। यह याचिका 19 मई 2024 को भाजपा विधायक के अनिल कुमार के खिलाफ दायर की गई थी।” उन्होंने यह भी कहा था कि याचिका “सिबा शंकर दाश के घर में कार्यरत एक हेल्पर के नाम पर दाखिल की गई थी, जबकि वास्तव में इसे सिबा शंकर दाश ने ही दाखिल किया था” और खर्च बिक्रम पांडा उठा रहे थे।

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अदालत ने कहा, “यदि यह सत्य है, तो यह अत्यंत चिंताजनक है कि एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी जैसे एसपी ने इस न्यायालय के समक्ष लंबित चुनाव विवाद पर सार्वजनिक टिप्पणी की।” अदालत ने यह भी नोट किया कि एसपी की प्रेस कॉन्फ्रेंस का वीडियो उपलब्ध है जिसमें वे चुनाव याचिका के संभावित परिणाम पर टिप्पणी करते दिख रहे हैं।

न्यायालय ने कहा कि ऐसी टिप्पणी “पूरी तरह अनुचित” है और न्याय के प्रशासन में हस्तक्षेप मानी जा सकती है। आदेश में कहा गया—
“अदालत इसे उचित समझती है कि बरहमपुर एसपी से यह स्पष्टीकरण मांगा जाए कि किन परिस्थितियों और किन कारणों से उन्होंने उक्त बयान दिया, विशेषकर उस चुनाव याचिका का उल्लेख करते हुए जो इस न्यायालय में विचाराधीन है, और क्यों न उनकी यह आचरण न्यायालय की अवमानना माना जाए।”

न्यायालय ने स्पष्ट किया कि “स्पष्टीकरण 7 नवंबर 2025 तक इस न्यायालय को प्राप्त हो जाना चाहिए” और यह आदेश ईमेल के माध्यम से एसपी को भेजने का निर्देश दिया गया।

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यह आदेश उस समय पारित हुआ जब याचिकाकर्ता मनोज कुमार पांडा ने हलफनामा दाखिल कर आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें अवैध रूप से हिरासत में लेकर पूछताछ की थी।
पांडा ने वर्ष 2024 के विधानसभा चुनाव में बरहमपुर सीट से भाजपा विधायक के. अनिल कुमार के चुनाव को चुनौती दी थी।

भाजपा नेता पिताबस पांडा की 6 अक्टूबर को हत्या के बाद जांच कर रही पुलिस ने पाया कि चुनाव याचिका पूर्व बीजेडी विधायक बिक्रम पांडा और पूर्व मेयर सिबा शंकर (पिंटू) दाश के बीच एक राजनीतिक कड़ी थी। दोनों को हत्या के मामले में गिरफ्तार किया जा चुका है।

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मीडिया से बातचीत में एसपी सरवणा विवेक एम ने यह भी कहा था कि सिबा शंकर दाश हत्या में सीधे तौर पर शामिल हैं, और चुनाव याचिका ने “उनके और बिक्रम पांडा के बीच साझेदारी साबित की।” उन्होंने कहा था कि दोनों के बीच यह समझौता था कि यदि विधायक अयोग्य ठहराए जाते हैं तो बिक्रम पांडा उपचुनाव लड़ेंगे, और अपने प्रभाव से पिंटू दाश को मेयर बनवाने में मदद करेंगे।

अब यह मामला 7 नवंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है, जब बरहमपुर एसपी का स्पष्टीकरण अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।

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