सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में यह स्पष्ट किया है कि सिविल प्रक्रिया संहिता (CPC) की Order 18 Rule 17 के अंतर्गत गवाह को पुनः बुलाने की शक्ति केवल न्यायालय के पास है और इसका प्रयोग केवल स्पष्टता के उद्देश्य से ही किया जा सकता है। जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने शुभकरण सिंह द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका (SLP) को खारिज करते हुए यह निर्णय दिया।
पृष्ठभूमि
शुभकरण सिंह ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में Miscellaneous Petition No. 7264/2024 दायर कर CPC की Order 18 Rule 17 के तहत एक गवाह को पुनः बुलाने की अनुमति मांगी थी। हाईकोर्ट ने 7 जनवरी 2025 को यह याचिका अस्वीकार कर दी। इसके विरुद्ध दायर Review Petition No. 117/2025 भी 27 फरवरी 2025 को खारिज कर दी गई। इसके बाद याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में SLP दायर कर दोनों आदेशों को चुनौती दी।
मुख्य कानूनी प्रश्न
मूल प्रश्न यह था कि क्या कोई पक्षकार CPC की Order 18 Rule 17 के अंतर्गत गवाह को पुनः परीक्षण, जिरह या पुनः जिरह के लिए बुला सकता है।
Order 18 Rule 17 CPC के अनुसार:
“न्यायालय किसी भी चरण में, किसी ऐसे गवाह को जो परीक्षित हो चुका हो, पुनः बुला सकता है और उसे ऐसे प्रश्न पूछ सकता है जो न्यायालय उपयुक्त समझे (जो कि वर्तमान समय में प्रभावी साक्ष्य कानून के अधीन हों)।”
सुप्रीम कोर्ट का विश्लेषण
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि:
- इस नियम के तहत शक्ति केवल न्यायालय को प्राप्त है।
- इसका प्रयोग अत्यंत सीमित और विशेष परिस्थितियों में किया जाना चाहिए।
- यह प्रावधान पक्षकारों को साक्ष्य में कमियां पूरी करने या मामले को दोबारा खोलने की अनुमति नहीं देता।
Sultan Saleh Bin Omer v. Vijayachand Sirmal [AIR 1966 AP 295] में दिए गए निर्णय का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा:
“इस नियम के अंतर्गत गवाह को पुनः बुलाने या प्रश्न पूछने का अधिकार केवल न्यायालय को है; यह पक्षकारों को उपलब्ध नहीं है।”
कोर्ट ने यह भी माना कि यद्यपि Section 151 CPC के तहत न्यायालय के पास अंतर्निहित शक्तियाँ होती हैं, लेकिन इनका प्रयोग केवल ईमानदारीपूर्ण एवं अपवादस्वरूप स्थितियों में ही किया जाना चाहिए।
Vadiraj Naggappa Vernekar v. Sharadchandra Prabhakar Gogate [(2009) 4 SCC 410] में दिए गए निर्णय को उद्धृत करते हुए कोर्ट ने कहा:
“Order 18 Rule 17 CPC के तहत शक्ति का प्रयोग आमतौर पर नहीं किया जाना चाहिए, केवल इस आधार पर कि पुनः परीक्षा से किसी पक्ष को क्षति नहीं होगी।”
K.K. Velusamy v. N. Palanisamy [(2011) 11 SCC 275] के निर्णय को उद्धृत करते हुए कोर्ट ने दोहराया:
“यह नियम मुख्यतः न्यायालय को किसी विषय या संदेह को स्पष्ट करने हेतु सक्षम बनाता है। यदि न्यायालय किसी गवाह को बुलाता है तो पक्षकारों को कुछ प्रश्न पूछने की अनुमति दी जा सकती है, किंतु यह पक्षकारों का अधिकार नहीं है।”
निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने विशेष अनुमति याचिकाएं खारिज करते हुए कहा कि:
- याचिकाकर्ता को Order 18 Rule 17 CPC के अंतर्गत गवाह की पुनः परीक्षा कराने का कोई वैधानिक अधिकार नहीं है।
- यह शक्ति केवल न्यायालय के विवेकाधीन क्षेत्र में आती है और इसका प्रयोग केवल स्पष्टीकरण के लिए किया जा सकता है, साक्ष्य को पुनः खोलने के लिए नहीं।
- न्यायालय ने लंबित सभी आवेदनों का भी निस्तारण कर दिया।
मामले का शीर्षक: Shubhkaran Singh vs Abhayraj Singh & Ors.
पीठ: जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन