प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने स्पष्ट किया है कि किसी भी अधिवक्ता को समन केवल विशेष परिस्थितियों में ही भेजा जा सकता है, और वह भी ED के निदेशक की पूर्व अनुमति से। यह स्पष्टीकरण मुंबई जोनल कार्यालय द्वारा 20 जून 2025 को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में दिया गया, जिसमें वरिष्ठ अधिवक्ता प्रताप वेणुगोपाल को भेजा गया समन वापस लेने की जानकारी दी गई।
यह समन केयर हेल्थ इंश्योरेंस लिमिटेड (CHIL) द्वारा 1 मई 2022 को जारी किए गए ESOPs (कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजनाओं) से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में जारी किया गया था। ED के अनुसार, CHIL ने ये ESOPs बहुत कम कीमत पर जारी किए थे, जबकि बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने उन्हें अस्वीकार कर दिया था। जांच इस बात को लेकर है कि IRDAI की अस्वीकृति और बोर्ड की चर्चाओं के बावजूद कंपनी ने ESOPs कैसे जारी किए।
IRDAI ने 23 जुलाई 2024 को CHIL को निर्देश दिया था कि वह अभी तक आवंटित नहीं हुए ESOPs को रद्द करे और नियामकीय निर्देशों का पालन न करने पर ₹1 करोड़ का जुर्माना भी लगाया था।

प्रताप वेणुगोपाल, जो सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और CHIL के स्वतंत्र निदेशक हैं, को भेजा गया समन अब वापस ले लिया गया है। ED ने कहा है कि यदि उनसे किसी प्रकार के दस्तावेज की आवश्यकता होगी तो उन्हें ईमेल के माध्यम से मांगा जाएगा।
इसके साथ ही, ED ने अपने सभी क्षेत्रीय कार्यालयों के लिए एक परिपत्र जारी किया है जिसमें कहा गया है कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 132 का उल्लंघन करते हुए किसी भी अधिवक्ता को समन नहीं भेजा जाना चाहिए। यदि धारा 132 के अपवाद स्वरूप समन जारी करना आवश्यक हो, तो उसे केवल ED के निदेशक की पूर्व स्वीकृति के बाद ही जारी किया जा सकता है।