सुप्रीम कोर्ट का फैसला: यूपी वैट अधिनियम की धारा 7(ग) के तहत कर-मुक्त बिक्री पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं मिलेगा

सुप्रीम कोर्ट ने नेहा एंटरप्राइजेज द्वारा दायर सिविल अपील को खारिज कर दिया है और उत्तर प्रदेश वाणिज्य कर प्राधिकरण द्वारा इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) की वापसी के निर्णय को सही ठहराया है। यह मामला उत्तर प्रदेश वैल्यू एडेड टैक्स अधिनियम, 2008 की धारा 7(ग) के तहत की गई कर-मुक्त बिक्री से संबंधित है।

मामले की पृष्ठभूमि

नेहा एंटरप्राइजेज, जो यूपी वैट अधिनियम के तहत एक पंजीकृत विक्रेता है, ने असेसमेंट वर्ष 2010–11 के लिए टर्नओवर विवरण प्रस्तुत किया था। इस दौरान, उसने निर्माता-निर्यातकों को फॉर्म-ई के माध्यम से ₹1,89,35,100 की बिक्री दर्ज की थी और ₹6,42,260 के इनपुट टैक्स पर क्रेडिट का दावा किया।

हालांकि, मूल्यांकन अधिकारी ने पहले आईटीसी को स्वीकृति दी थी, लेकिन 22 फरवरी 2013 को धारा 28 के अंतर्गत पारित आदेश के माध्यम से उक्त इनपुट टैक्स क्रेडिट को वापस ले लिया। अधिकारी का तर्क था कि ये बिक्री धारा 7(ग) के तहत कर-मुक्त थी, इसलिए आईटीसी का दावा अस्वीकार्य है।

Video thumbnail

निचली अदालतों में कार्यवाही

प्रथम अपीलीय प्राधिकारी ने 22 जुलाई 2013 को विक्रेता की अपील खारिज कर दी। प्राधिकारी ने यह कहा कि 24 फरवरी 2010 को धारा 7(ग) के तहत जारी अधिसूचना में निर्माता-निर्यातकों को की गई प्रत्यक्ष बिक्री को कर से छूट प्रदान की गई थी, लेकिन विक्रेताओं को इनपुट टैक्स क्रेडिट का कोई अधिकार नहीं दिया गया था।

READ ALSO  आदित्य ठाकरे, संजय राउत ने महाराष्ट्र के सांसद द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट में दायर मानहानि याचिका का विरोध किया

विक्रेता द्वारा वाणिज्य कर अधिकरण, मेरठ के समक्ष दायर की गई दूसरी अपील को भी 10 सितंबर 2013 को खारिज कर दिया गया। अधिकरण ने स्पष्ट कहा कि अधिनियम की धारा 13(7) में यह स्पष्ट प्रावधान है कि यदि बिक्री धारा 7(ग) के तहत कर-मुक्त हो, तो उस स्थिति में इनपुट टैक्स क्रेडिट अनुमन्य नहीं है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी 24 नवंबर 2014 को निचली प्राधिकरणों के निर्णय को बरकरार रखते हुए पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दिया। उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा:

“धारा 13(7) का सामान्य पाठन यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि आवेदक को धारा 7(ग) के अंतर्गत कर-मुक्त बिक्री की स्थिति में इनपुट टैक्स क्रेडिट का अधिकार नहीं था।”

READ ALSO  महिला जजों की संख्या पर टिप्पणी के लिए सुप्रीम कोर्ट ने वकील को लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट में दलीलें

अपीलकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि धारा 7(ग) के तहत कर में छूट देना एक नीतिगत निर्णय था जिससे निर्माता-निर्यातकों को बढ़ावा दिया जा सके। यदि इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं दिया गया तो उस नीति का उद्देश्य ही निष्फल हो जाएगा। वकील ने धारा 13(1) और धारा 7(ग) का समन्वित रूप से पाठ करने की आवश्यकता बताई।

राज्य सरकार की ओर से प्रस्तुत वकील ने तर्क दिया कि धारा 13(7) स्पष्ट रूप से यह निषेध करती है कि यदि बिक्री धारा 7(ग) के अंतर्गत कर-मुक्त हो तो विक्रेता इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा नहीं कर सकता। उन्होंने यह भी कहा कि कर कानूनों की व्याख्या उनकी भाषा के अनुसार की जानी चाहिए, न कि नीति के आधार पर।

न्यायालय की विवेचना और निर्णय

न्यायमूर्ति पंकज मिथल और न्यायमूर्ति एस.वी.एन. भट्टी की पीठ ने अधिनियम की वैधानिक संरचना की समीक्षा करते हुए कहा कि आईटीसी की अस्वीकृति धारा 13(7) के अनुरूप है। न्यायालय ने उल्लेख किया:

“धारा 13(7) यह भी स्पष्ट करती है कि ऐसे किसी भी विक्रेता को इनपुट टैक्स क्रेडिट की सुविधा नहीं दी जाएगी, जिसकी बिक्री धारा 7(ग) के अंतर्गत कर-मुक्त है।”

READ ALSO  संपत्ति विवादों में एक वरिष्ठ नागरिक द्वारा दूसरे वरिष्ठ नागरिक के खिलाफ 'सीनियर सिटीजन एक्ट' लागू नहीं किया जा सकता: बॉम्बे हाईकोर्ट

अपीलकर्ता द्वारा नीतिगत मंशा पर दिए गए तर्क को अस्वीकार करते हुए न्यायालय ने कहा:

“जब अधिनियम की धारा 13(7) में स्पष्ट निषेध है, तब हम अधिसूचनाओं के माध्यम से प्रदर्शित नीति या मंशा के आधार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट की अनुमति नहीं दे सकते।”

न्यायालय ने कहा कि जब विक्रेता ने धारा 7(ग) के अंतर्गत छूट का लाभ लिया, तब उसे यह ज्ञात था कि इनपुट टैक्स क्रेडिट अनुमन्य नहीं होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने सिविल अपील को खारिज करते हुए कहा कि इनपुट टैक्स क्रेडिट की वापसी विधिसम्मत है। न्यायालय ने पक्षकारों को कोई लागत नहीं दी।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles