“कोई पति यह बर्दाश्त नहीं करेगा कि उसकी पत्नी इस तरह की अश्लील चैटिंग करे” – मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

इंदौर, 5 मार्च 2025 – मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में पत्नी द्वारा अपने पुरुष मित्रों के साथ अश्लील बातचीत को मानसिक क्रूरता करार देते हुए तलाक को सही ठहराया। न्यायमूर्ति विवेक रूसिया और न्यायमूर्ति गजेंद्र सिंह की खंडपीठ ने पति की अपील स्वीकार करते हुए कहा कि शादी के बाद पति या पत्नी का किसी अन्य व्यक्ति से इस प्रकार का आपत्तिजनक संवाद करना मानसिक उत्पीड़न के समान है।

मामले की पृष्ठभूमि

यह मामला फर्स्ट अपील नंबर 1605/2023 से संबंधित है, जिसमें अपीलकर्ता (पत्नी) ने फैमिली कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
पति और पत्नी की शादी 15 दिसंबर 2018 को छतरपुर, मध्य प्रदेश में हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार हुई थी। पति, जो एक राष्ट्रीयकृत बैंक में प्रबंधक हैं, ने आरोप लगाया कि विवाह के तुरंत बाद पत्नी का व्यवहार उनके परिवार के प्रति अत्यंत अपमानजनक था।

पति के मुख्य आरोप:

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  1. पत्नी ने सास के साथ दुर्व्यवहार किया और उन्हें ‘बहरे की माँ’ (Mother of Deaf) कहकर संबोधित किया।
  2. विवाह के डेढ़ महीने बाद ही (5 अप्रैल 2019), पत्नी मायके चली गई और वापस आने से इनकार कर दिया।
  3. पत्नी के दो पुरुष मित्रों से व्हाट्सएप पर अश्लील बातचीत के प्रमाण मिले।
  4. जब पति ने आपत्ति जताई, तो पत्नी ने उन्हें झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी दी।
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इसके बाद, पति ने उज्जैन फैमिली कोर्ट में हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 के तहत तलाक की अर्जी दाखिल की।

कानूनी मुद्दे

  1. क्या विवाह के बाद किसी अन्य पुरुष से अश्लील बातचीत करना मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आता है?
  2. क्या ससुराल वालों के प्रति लगातार अपमानजनक व्यवहार तलाक का आधार हो सकता है?
  3. क्या पति द्वारा पत्नी के फोन से चैटिंग के सबूत जुटाना निजता का उल्लंघन माना जाएगा?
  4. यदि आरोपी पक्ष (पत्नी) ने कोई प्रतिआरोप नहीं लगाया, तो क्या यह तलाक का दावा मजबूत करता है?

अदालत की टिप्पणियाँ और फैसला

उज्जैन की परिवार न्यायालय (अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश) ने 24 जून 2023 को पति के पक्ष में तलाक का निर्णय सुनाया था, जिसे पत्नी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी।

पत्नी ने अपने बचाव में कहा कि उसका फोन हैक कर लिया गया था और ये आरोप झूठे हैं। उसने पति पर घरेलू हिंसा और दहेज मांगने के भी आरोप लगाए। लेकिन हाईकोर्ट ने उसकी दलीलों को अविश्वसनीय माना।

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हाईकोर्ट की महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ:

  • पत्नी के पिता, जो कि 40-50 वर्षों से वकील हैं, ने स्वयं पुलिस के सामने स्वीकार किया कि उनकी बेटी पुरुष मित्रों से बातें करती थी और इससे पूरा परिवार शर्मिंदा था।
  • व्हाट्सएप चैटिंग अश्लील थी और इसके प्रिंटआउट कोर्ट में सबूत के रूप में पेश किए गए।
  • पत्नी ने खुद 2 सितंबर 2020 को पुलिस थाने में एक माफीनामा दिया था, जिससे साबित होता है कि आरोप निराधार नहीं थे।
  • यदि किसी पति या पत्नी के आपत्तिजनक व्यवहार से उनका जीवनसाथी मानसिक तनाव में आता है, तो यह मानसिक क्रूरता माना जाएगा।
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कोर्ट ने अपने फैसले में कहा:
“कोई पति यह बर्दाश्त नहीं करेगा कि उसकी पत्नी मोबाइल पर इस प्रकार की अश्लील चैटिंग करे।”
अदालत ने स्पष्ट किया कि शादी के बाद दोस्तों से बातचीत करने की स्वतंत्रता सभी को होती है, लेकिन संवाद शालीन और गरिमामयी होना चाहिए।

अंतिम निर्णय

कोर्ट ने पत्नी की अपील खारिज कर दी और उज्जैन फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए विवाह को तलाक के माध्यम से समाप्त कर दिया।

मुकदमे से जुड़े प्रमुख वकील

  • अपीलकर्ता (पत्नी) की ओर से: अधिवक्ता यश पाल राठौर
  • प्रतिवादी (पति) की ओर से: वरिष्ठ अधिवक्ता वीरेंद्र शर्मा एवं अधिवक्ता सतीश यादव

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