सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को नितीश कटारा हत्याकांड के दोषी विकाश यादव की अंतरिम ज़मानत बढ़ाने से इनकार कर दिया और उसे इस संबंध में दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाने को कहा।
न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने संक्षिप्त सुनवाई के दौरान स्पष्ट कर दिया कि शीर्ष अदालत ज़मानत बढ़ाने पर विचार नहीं करेगी। जब यादव के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से ही राहत की मांग की, तो पीठ ने संकेत दिया कि वह याचिका खारिज कर देगी। इसके बाद वकील ने कहा कि वह हाई कोर्ट जाएंगे।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने यादव को एक सप्ताह की अंतरिम ज़मानत दी थी। उनकी याचिका दिल्ली हाई कोर्ट के 22 अगस्त के आदेश के खिलाफ थी, जिसमें ज़मानत बढ़ाने से इनकार किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने ही 29 जुलाई को उन्हें अंतरिम ज़मानत दी थी।

54 वर्षीय यादव अब तक 23 साल से अधिक समय जेल में बिता चुके हैं और 25 साल की सज़ा काट रहे हैं। उन्होंने अंतरिम ज़मानत इस आधार पर मांगी थी कि उनकी शादी 5 सितंबर को तय है और उन्हें सज़ा के समय लगाए गए 54 लाख रुपये के जुर्माने की व्यवस्था करनी है।
2002 का यह मामला उस समय सुर्खियों में आया था जब कारोबारी नितीश कटारा की हत्या कर दी गई थी। यादव और उनके चचेरे भाई विशाल यादव को दोषी ठहराया गया था। आरोप है कि हत्या का कारण कटारा और विकाश की बहन भारती यादव के रिश्ते का विरोध था, क्योंकि दोनों अलग जातियों से थे।
एक अन्य सह-दोषी सुखदेव पहलवान को बिना किसी रियायत के 20 साल की सज़ा मिली थी। सुप्रीम कोर्ट ने 29 जुलाई को आदेश दिया था कि मार्च में 20 साल की सज़ा पूरी करने के बाद उसे रिहा किया जाए।
अब विकाश यादव को अंतरिम ज़मानत के लिए दिल्ली हाई कोर्ट का रुख करना होगा।