सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को निठारी हत्याकांड के आरोपी सुरेन्द्र कोली की दोषसिद्धि और मृत्युदंड को चुनौती देने वाली क्यूरेटिव याचिका को स्वीकार कर लिया। इस फैसले के साथ कोली अब आज़ाद व्यक्ति होंगे, क्योंकि अन्य सभी निठारी मामलों में उन्हें पहले ही बरी किया जा चुका है।
मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने यह आदेश सुनाया। अदालत ने कोली की क्यूरेटिव याचिका को खुले अदालत कक्ष में सुना — जो कि ऐसे मामलों में विरले ही होता है।
कोली को नोएडा के निठारी गाँव में 15 वर्षीय लड़की के बलात्कार और हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था। उनकी सजा को सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2011 में बरकरार रखा था और 2014 में उनकी पुनर्विचार याचिका भी खारिज कर दी गई थी।
हालांकि, जनवरी 2015 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनकी फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था, यह कहते हुए कि दया याचिका के निस्तारण में अत्यधिक देरी हुई थी।
निठारी कांड 29 दिसंबर 2006 को तब सामने आया था जब नोएडा के व्यापारी मोनिंदर सिंह पंढेर के घर के पीछे नाले से आठ बच्चों के कंकाल बरामद हुए थे। इस भयावह घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था।
अक्टूबर 2023 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोली और पंढेर दोनों को कई निठारी मामलों में बरी कर दिया था और 2017 में ट्रायल कोर्ट द्वारा सुनाई गई मृत्युदंड की सजा को निरस्त कर दिया था। अदालत ने कोली को 12 मामलों में और पंढेर को दो मामलों में बरी किया था।
सीबीआई और पीड़ित परिवारों ने इन बरी आदेशों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन शीर्ष अदालत ने 30 जुलाई 2025 को सभी 14 अपीलें खारिज कर दीं।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा क्यूरेटिव याचिका स्वीकार किए जाने के साथ ही भारत के सबसे चर्चित और भयावह आपराधिक मामलों में से एक का कानूनी अध्याय अब समाप्त हो गया है।
यह आदेश कोली की अंतिम शेष दोषसिद्धि को भी समाप्त करता है, जिससे वह लगभग 19 वर्ष जेल में रहने के बाद पूरी तरह मुक्त हो गए हैं।




