राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट में प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के अध्यक्ष ओएमए सलाम द्वारा दायर 15 दिन की कस्टडी पैरोल याचिका का विरोध किया। सलाम, जिन्हें गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया गया है, ने अपनी दिवंगत बेटी से जुड़ी केरल में धार्मिक रस्मों में शामिल होने के लिए लंबी पैरोल मांगी थी।
एनआईए के वकील ने सलाम के पैरोल की अवधि पर सवाल उठाते हुए केवल एक दिन की यात्रा की अनुमति देने का प्रस्ताव दिया और 15 दिन तक रस्म चलने की आवश्यकता पर संदेह जताया। एनआईए के वकील ने तर्क दिया, “आप रस्म का आविष्कार नहीं कर सकते,” और मामले की पुष्टि के लिए और समय मांगा।
मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति रविंदर दुडेजा ने समारोह के विवरण के सत्यापन में एनआईए की निष्क्रियता पर असंतोष व्यक्त किया। उन्होंने टिप्पणी की, “समारोह का नाम दिया गया है। आपको अब तक सत्यापन कर लेना चाहिए था। एजेंसी का हर जगह नेटवर्क है।” इस मामले की अगली सुनवाई 28 अप्रैल को होगी।

सलाम के वकील ने दलील दी कि ये रस्में कई धार्मिक अनुष्ठानों से जुड़ी हैं, जिनमें बेटी की कब्र और घर पर प्रार्थनाओं का पाठ तथा पवित्र श्लोकों का पाठ शामिल है, जो स्थानीय आस्था और परंपराओं से गहराई से जुड़े हैं। उन्होंने मूल 15 दिन के अनुरोध को संशोधित करते हुए कम से कम छह दिन की कस्टडी पैरोल की अपील की।
यह विवाद उस फैसले से उत्पन्न हुआ था, जिसमें निचली अदालत ने सलाम को केवल एक दिन और छह घंटे की कस्टडी पैरोल दी थी, जिसके खिलाफ उन्होंने उच्च न्यायालय में अपील की।
बता दें कि सलाम को 2022 में पीएफआई के खिलाफ देशभर में हुए व्यापक छापों के दौरान गिरफ्तार किया गया था। सरकार ने संगठन और उसके सदस्यों पर आईएसआईएस जैसे वैश्विक आतंकी संगठनों से संबंध रखने और कैडरों को आतंकी गतिविधियों के लिए प्रशिक्षित करने का आरोप लगाया है।