नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने चेन्नई के वेलाचेरी 100 फीट रोड के पास पेरुमल कोइल स्ट्रीट के समीप स्थित झील में गंभीर प्रदूषण की शिकायत पर केंद्र सरकार और स्थानीय निकायों से जवाब मांगा है। यह झील कथित रूप से सीवेज, काई और कूड़े-कचरे से भरी हुई है और मच्छरों का प्रजनन स्थल बन गई है।
एनजीटी की दक्षिणी पीठ, जिसमें न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. ए. सेंथिल वेल शामिल हैं, ने एक समाचार रिपोर्ट पर स्वतः संज्ञान लेते हुए कहा कि यह मामला पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमों के गंभीर उल्लंघन की ओर संकेत करता है।
5 जून को पारित आदेश में ट्रिब्यूनल ने उस समाचार रिपोर्ट का हवाला दिया जिसमें बताया गया था कि झील के आसपास स्थित 50 से अधिक मकानों के निवासी लगातार बदबू से परेशान हैं। रिपोर्ट में चेन्नई मेट्रोपॉलिटन जल आपूर्ति एवं सीवरेज बोर्ड (CMWSSB) को दोषी ठहराया गया है। निवासियों का आरोप है कि झील के अंदर से होकर बिछाई गई सीवेज पाइपलाइनें खुली छोड़ दी गई हैं, जिससे गंदा पानी सीधे झील में जा रहा है।

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि नगर निगम के एक सफाईकर्मी ने कबाड़ हटाने के दौरान झील में कम से कम चार सीवेज पाइपलाइनों से गंदगी निकलने की पुष्टि की।
एनजीटी ने टिप्पणी की कि, “यह रिपोर्ट prima facie (प्रथम दृष्टया) पर्यावरणीय मानदंडों के उल्लंघन और स्थानीय निकायों की विफलता को दर्शाती है।”
ट्रिब्यूनल ने इस मामले में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के क्षेत्रीय कार्यालय, तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (TNPCB), चेन्नई जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड (CMWSSB) तथा ग्रेटर चेन्नई निगम आयुक्त को प्रतिवादी बनाया है। सभी पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा गया है।
इस मामले की अगली सुनवाई 7 अगस्त को चेन्नई में एनजीटी की दक्षिण क्षेत्रीय पीठ में होगी।