NEET-PG 2025 एक ही शिफ्ट में आयोजित किया जाए: सुप्रीम कोर्ट ने NBE की दो शिफ्ट में परीक्षा लेने की याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन (NBE) की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें NEET-PG 2025 परीक्षा को दो शिफ्टों में आयोजित करने की अनुमति मांगी गई थी। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि अलग-अलग प्रश्न पत्रों की कठिनाई समान नहीं हो सकती, जिससे परीक्षा में असमानता और मनमानी होती है।

जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की पीठ ने निर्देश दिया कि परीक्षा प्राधिकरण को पर्याप्त परीक्षा केंद्रों की पहचान करनी चाहिए और NEET-PG परीक्षा को एक ही शिफ्ट में आयोजित करने की व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके और किसी भी तरह की गड़बड़ी से बचा जा सके।

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अदालत ने अपने आदेश में कहा, “दो शिफ्ट में परीक्षा आयोजित करना मनमानी है और यह सभी उम्मीदवारों को समान अवसर नहीं देता। दोनों शिफ्ट के प्रश्न पत्रों की कठिनाई स्तर कभी एक जैसी नहीं हो सकती।

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सुनवाई के दौरान पीठ ने सवाल उठाया, “यह कैसे समान रह सकता है? प्रश्न पत्र अलग-अलग होते हैं। वे कभी भी एक जैसे नहीं हो सकते।” याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि दो शिफ्टों में परीक्षा कराने से ‘मेहनत’ की बजाय ‘किस्मत’ ज्यादा मायने रखने लगती है।

इस बीच, वरिष्ठ अधिवक्ता मनींदर आचार्य, जो NBE की ओर से पेश हुए, ने तर्क दिया कि ऑनलाइन परीक्षा केंद्रों की संख्या सीमित है और सुरक्षा, तकनीकी संसाधनों तथा कंप्यूटर की गुणवत्ता जैसे मुद्दों के कारण अधिकांश बड़ी परीक्षाएं दो शिफ्टों में आयोजित की जाती हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि बोर्ड दोनों शिफ्टों में प्रश्न पत्रों की कठिनाई समान रखने का प्रयास करता है और स्कोर के सामान्यीकरण (normalisation) के ज़रिए किसी भी अंतर को समाप्त किया जाता है।

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हालांकि, सुप्रीम कोर्ट इस स्पष्टीकरण से संतुष्ट नहीं हुआ। पीठ ने इस ओर इशारा किया कि NEET-UG, जिसमें NEET-PG से कहीं अधिक उम्मीदवार शामिल होते हैं, एक ही शिफ्ट में आयोजित की जाती है।

पीठ ने कहा, “पिछले वर्ष विशेष परिस्थितियों में दो शिफ्टों में परीक्षा ली गई हो सकती है, लेकिन परीक्षा संस्था को इस बार एक ही शिफ्ट में परीक्षा आयोजित करने की व्यवस्था करनी चाहिए थी।

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सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं में निष्पक्षता बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, विशेष रूप से मेडिकल जैसे क्षेत्र में जहां अंक का थोड़ा सा अंतर भी उम्मीदवारों के भविष्य को प्रभावित कर सकता है।

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