नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने स्पष्ट किया है कि दिल्ली-मेरठ क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) परियोजना के लिए पेड़ों की कटाई या प्रत्यारोपण को लेकर नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (एनसीआरटीसी) को दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई शर्तों का पूरी तरह से पालन करना होगा।
यह निर्देश एनजीटी ने उस याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया, जिसमें दक्षिण दिल्ली की सिद्धार्थ एक्सटेंशन पॉकेट-सी कॉलोनी में 40 बड़े पेड़ों को हटाने को लेकर पर्यावरणीय चिंता जताई गई थी। याचिका स्थानीय रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन ने दायर की थी।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य अफरोज़ अहमद एवं ए. सेंथिल वेल की पीठ ने 26 मई को पारित आदेश में कहा, “यह मुद्दा पहले ही दिल्ली हाईकोर्ट के 21 फरवरी 2025 के आदेश से आच्छादित है। साथ ही, यह भी पाया गया कि कुल 144 पेड़ों के प्रत्यारोपण व कटान की अनुमति पहले ही दी जा चुकी है और संबंधित शर्तें भी वन विभाग की 16 दिसंबर 2021 की अनुमति में शामिल हैं।”
ट्रिब्यूनल ने कहा कि एनसीआरटीसी को दिल्ली हाईकोर्ट और वन विभाग द्वारा तय की गई सभी शर्तों का पालन करना अनिवार्य है।
हाईकोर्ट ने एनसीआरटीसी को 36 पेड़ों (29 प्रत्यारोपण व 7 कटान) की अनुमति दी थी, इस शर्त के साथ कि 1,440 देशी प्रजातियों के पेड़ लगाए जाएंगे, जिनकी नर्सरी आयु कम से कम 3 वर्ष हो, और उनका रखरखाव कम से कम 5 वर्षों तक किया जाएगा। एक वरिष्ठ अधिकारी को इसकी जिम्मेदारी का शपथपत्र भी दाखिल करना होगा।
एनजीटी ने यह भी उल्लेख किया कि हाईकोर्ट पहले ही कॉरिडोर में अब तक हुए पेड़ प्रत्यारोपण और प्रतिपूरक वृक्षारोपण की स्थिति पर रिपोर्ट तलब कर चुका है।
अतः एनजीटी ने कहा कि जब यह संपूर्ण विषय दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा पहले ही विचाराधीन होकर तय कर दिया गया है, तो इस याचिका पर अलग से हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है, और याचिका को निस्तारित कर दिया गया।