लोकसभा ने सोमवार को आयकर (संख्या 2) विधेयक पारित कर दिया, जिसका उद्देश्य छह दशक पुराने आयकर अधिनियम, 1961 को खत्म कर एक सरल और सुव्यवस्थित कर ढांचा लागू करना है। यह विधेयक बिना विपक्षी बहस के पारित हुआ, हालांकि बिहार में होने वाले चुनाव से पहले मतदाता सूची संशोधन को लेकर INDIA गठबंधन के सांसदों ने सदन में विरोध किया।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि इस विधेयक का आधार S.I.M.P.L.E सिद्धांत है—Streamlined structure and language (सुव्यवस्थित ढांचा और भाषा), Integrated and concise (एकीकृत और संक्षिप्त), Minimised litigation (विवाद न्यूनतम), Practical and transparent (व्यावहारिक और पारदर्शी), Learn and adapt (सीखना और अनुकूल होना) और Efficient tax reforms (प्रभावी कर सुधार)।
इस विधेयक का पहला मसौदा फरवरी में पेश किया गया था, जिसे भाजपा सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली चयन समिति को भेजा गया। समिति ने 285 सिफारिशें कीं, जिनमें से अधिकांश को शामिल किया गया है। पांडा ने कहा, “1961 का आयकर अधिनियम अब तक 4,000 से अधिक बार संशोधित हुआ है और इसमें पांच लाख से ज्यादा शब्द हैं। नया विधेयक इसकी जटिलता को लगभग 50 प्रतिशत तक कम करता है।”

नए आयकर विधेयक की प्रमुख विशेषताएं
- सरल भाषा और ढांचा: ‘पूंजीगत संपत्ति’, ‘सूक्ष्म एवं लघु उद्यम’ और ‘लाभकारी स्वामी’ जैसी परिभाषाओं को स्पष्ट किया गया।
- रिफंड में राहत: रिटर्न देर से भरने पर भी रिफंड का दावा संभव।
- TDS में देरी पर कोई जुर्माना नहीं: देर से TDS दाखिल करने पर वित्तीय दंड समाप्त।
- Nil-TDS प्रमाणपत्र: जिन करदाताओं की कोई कर देनदारी नहीं, वे पहले से ही निल-प्रमाणपत्र ले सकेंगे (भारतीय व अनिवासी दोनों)।
- कम्यूटेड पेंशन: कुछ विशेष पेंशन फंड से एकमुश्त पेंशन भुगतान पर स्पष्ट कर कटौती।
- अंतर-कारपोरेट लाभांश: सेक्शन 80M के तहत छूट बहाल, ताकि बहु-स्तरीय कंपनी संरचनाओं में दोहरी कराधान से बचा जा सके।
- संपत्ति कर नियम: मकान से आय पर मानक कटौती 30% तय; खाली पड़े किराये के मकानों के मूल्यांकन का नया तरीका लागू।
- MSME परिभाषा में तालमेल: 2020 के MSME अधिनियम के मानकों के अनुरूप।
- ‘टैक्स ईयर’ की अवधारणा: वित्त वर्ष और निर्धारण वर्ष की जगह टैक्स ईयर, यानी आय जिस वर्ष अर्जित होगी उसी वर्ष टैक्स अदा होगा।
- अनावश्यक प्रावधान हटाए गए: फ्रिंज बेनिफिट टैक्स जैसे सेक्शन हटाए गए।
- तालिकाओं का समावेश: TDS, अनुमानित कराधान, वेतन, वसूली योग्य खराब ऋण कटौती जैसे प्रावधानों के लिए अलग तालिकाएं।
यह नया कानून 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा। मौजूदा टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है और न्यायालयों में परिभाषित प्रमुख शब्द एवं वाक्यांश यथावत रहेंगे।
सोमवार को ही लोकसभा ने कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2025 भी पारित किया, जिसके तहत सऊदी अरब के सॉवरेन वेल्थ फंड और उसकी भारतीय निवेश करने वाली सहायक कंपनियों को प्रत्यक्ष कर में छूट मिलेगी।