मालेगांव ब्लास्ट केस में एक महत्वपूर्ण प्रगति के तहत विशेष एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) अदालत ने 8 मई को फैसला सुनाने की तारीख तय की है। यह निर्णय 19 अप्रैल को अभियोजन पक्ष द्वारा अंतिम लिखित दलीलें पेश किए जाने के बाद सुनवाई पूरी होने के साथ लिया गया।
29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव शहर में एक मस्जिद के पास खड़ी मोटरसाइकिल में विस्फोटक उपकरण फिट कर धमाका किया गया था। इस हमले में छह लोगों की मौत हो गई थी और सौ से अधिक लोग घायल हुए थे।
इस बहुचर्चित मामले में अब तक 323 अभियोजन पक्ष के गवाहों की गवाही हो चुकी है, जिनमें से 34 गवाह मुकर गए। आरोपियों में लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित, बीजेपी नेता प्रज्ञा ठाकुर, मेजर रमेश उपाध्याय (सेवानिवृत्त), अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी शामिल हैं। इन पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) और भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय किए गए हैं, जिनमें आतंकवादी गतिविधियों की साजिश, हत्या, हत्या का प्रयास, चोट पहुंचाना और धार्मिक समूहों के बीच वैमनस्य फैलाना शामिल है।
इस केस की शुरुआती जांच महाराष्ट्र एटीएस ने की थी, लेकिन 2011 में इसे एनआईए को सौंप दिया गया। 2016 में एनआईए ने एक आरोपपत्र दायर कर प्रज्ञा ठाकुर और तीन अन्य — श्याम साहू, प्रवीण टाकलकी और शिवनारायण कालसंगरा — को सबूतों की कमी के आधार पर क्लीन चिट दे दी थी। हालांकि, एनआईए अदालत ने साहू, कालसंगरा और टाकलकी को आरोपमुक्त कर दिया था, लेकिन ठाकुर को मुकदमे का सामना करने के लिए कहा गया।
अब अदालत इस बहुप्रतीक्षित मामले में 8 मई को अपना फैसला सुनाएगी।