इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने भारतीय दंड संहिता की धारा 494 की संवैधानिकता और मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) आवेदन अधिनियम 1937 को चुनौती देने वाली याचिका पर भारत के अटॉर्नी जेनरल को नोटिस जारी किया है।
हिंदू पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा दायर जनहित याचिका पर न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने यह आदेश जारी किया।
याचिकाकर्ता के वकील अशोक पांडे के मुताबिक, धारा 494 हिंदुओं, बौद्ध, सिखों और ईसाइयों पर लागू होती है, लेकिन मुसलमानों पर नहीं।
यह दावा किया गया है कि आईपीसी की धारा 494 का यह प्रावधान मुसलमानों पर लागू नहीं होता है क्योंकि उन्हें अधिनियम 1937 के तहत सुरक्षा प्राप्त है।