कलकत्ता हाईकोर्ट ने गुरुवार को मुर्शिदाबाद सांप्रदायिक हिंसा में मारे गए दो लोगों के परिवार द्वारा दायर उस याचिका को छोड़ दिया, जिसमें पुलिस द्वारा उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था। न्यायमूर्ति सौमेन सेन की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच ने कहा कि यह मामला उस विशेष पीठ को भेजा जाएगा, जो पुलिस की निष्क्रियता और ज्यादती से जुड़े मामलों की सुनवाई करती है।
यह याचिका हरगोबिंद दास और उनके बेटे चंदन की विधवाओं ने दायर की थी, जिसमें बिधाननगर पुलिस कमिश्नरेट पर पीड़ित परिवार को धमकाने और प्रताड़ित करने का आरोप लगाया गया था। रिपोर्टों के अनुसार, हरगोबिंद दास और चंदन को 12 अप्रैल को मुर्शिदाबाद जिले के समसेरगंज इलाके में विवादित वक्फ (संशोधन) अधिनियम के विरोध के दौरान दंगाइयों ने बेरहमी से मार डाला था।
परिवार ने पहले न्यायमूर्ति तीरथंकर घोष की अध्यक्षता वाली हाईकोर्ट की सिंगल बेंच का रुख किया था, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए सुनवाई से इंकार कर दिया कि इस मामले से जुड़े अन्य मामले पहले से ही डिवीजन बेंच में लंबित हैं।

याचिका में यह भी कहा गया कि परिवार ने अर्जी दाखिल करने के लिए साल्ट लेक में शरण ली थी, लेकिन बिधाननगर पुलिस कमिश्नरेट के अधिकारियों ने जबरन घर में घुसकर दरवाजा तोड़ा और परिवार के सदस्यों के साथ अभद्र भाषा में व्यवहार किया।
अब डिवीजन बेंच के आदेश से यह मामला पुनः हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पास भेजा गया है, जो इसे उचित पीठ को सौंपेंगे ताकि आगे की सुनवाई हो सके।
गौरतलब है कि पिछले महीने मुर्शिदाबाद में हुई सांप्रदायिक हिंसा को लेकर कई कानूनी चुनौतियां सामने आई हैं। पीड़ित परिवार न्याय और पुलिस की कथित ज्यादतियों से सुरक्षा की मांग कर रहे हैं।