कमलनाथ और गोविंद सिंह के खिलाफ हनीट्रैप सीडी मामले में दायर जनहित याचिका मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से खारिज

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कांग्रेस नेताओं कमलनाथ और गोविंद सिंह के खिलाफ दायर उस जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया है, जिसमें कथित हनीट्रैप सीडी को विशेष जांच दल (SIT) को सौंपने के निर्देश देने की मांग की गई थी। अदालत ने कहा कि नेताओं के पास सीडी होने का कोई ठोस साक्ष्य याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत नहीं किया है।

यह याचिका 2023 में इंदौर के वकील भूपेंद्र सिंह कुशवाहा ने दायर की थी। उन्होंने दावा किया था कि दोनों नेताओं ने सार्वजनिक रूप से दिए बयानों में इस सीडी के होने की बात कही थी। कमलनाथ दिसंबर 2018 से मार्च 2020 तक मुख्यमंत्री रहे, जबकि गोविंद सिंह उस दौरान मंत्री पद पर थे।

READ ALSO  दिल्ली हाईकोर्ट ने बार काउंसिल के अध्यक्ष को राज्यसभा सदस्य के रूप में अयोग्य ठहराने की मांग वाली याचिका खारिज की, ₹25,000 का जुर्माना लगाया

हालांकि, न्यायमूर्ति विवेक रूसिया और न्यायमूर्ति बिनोद कुमार द्विवेदी की खंडपीठ ने 10 जुलाई के आदेश में कहा कि केवल समाचार पत्रों में छपी रिपोर्ट को कानूनी साक्ष्य नहीं माना जा सकता जब तक उसका कोई पुष्टिकरण न हो।

Video thumbnail

अदालत ने कहा, “इस मामले में चार्जशीट पहले ही दाखिल की जा चुकी है और ट्रायल चल रहा है। याचिकाकर्ता ने समाचार पत्रों की रिपोर्ट पर भरोसा किया है, लेकिन यह साबित करने के लिए कोई शपथपत्र या निजी जानकारी नहीं दी गई है कि सीडी वास्तव में इन नेताओं के पास है। अदालतें केवल मीडिया रिपोर्टों के आधार पर कार्रवाई नहीं कर सकतीं जब तक कि ठोस प्रमाण न हों।”

गौरतलब है कि 2019 में सामने आए इस हनीट्रैप मामले में भोपाल और इंदौर से पांच महिलाओं और एक ड्राइवर को गिरफ्तार किया गया था। दिसंबर 2019 में दाखिल चार्जशीट में पुलिस ने बताया था कि यह एक संगठित गिरोह था, जो मानव तस्करी के जरिए लाई गई युवतियों का इस्तेमाल कर प्रभावशाली लोगों को फंसाता था।

READ ALSO  दिल्ली हाईकोर्ट ने लालू प्रसाद यादव के खिलाफ 'जमीन के बदले नौकरी' मामले में ट्रायल टालने पर आदेश सुरक्षित रखा

जांच के अनुसार, गुप्त कैमरों से अंतरंग पलों की रिकॉर्डिंग की जाती थी और फिर उन वीडियो तथा सोशल मीडिया चैट्स के जरिए पीड़ितों से पैसे की उगाही की जाती थी। इस कांड ने राजनीतिक और नौकरशाही हलकों में हलचल मचा दी थी, जिसके बाद SIT गठित की गई थी।

चूंकि अब मामले की सुनवाई अदालत में जारी है, हाईकोर्ट ने कहा कि बिना पुष्टि वाले दावों के आधार पर आगे कोई निर्देश देना कानूनन उचित नहीं होगा।

READ ALSO  इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश गैंगस्टर अधिनियम के तहत 'गैंग' की परिभाषा स्पष्ट की, समूह वर्गीकरण के लिए हिंसा आवश्यक नहीं
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles