“मर चुका व्यक्ति कॉल कैसे कर सकता है?”– मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने पुलिस की जांच पर उठाए सवाल, हत्या के मामले में पिता-पुत्र को किया बरी

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक युवक की हत्या के मामले में दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा पाए पिता-पुत्र की सजा को रद्द करते हुए उन्हें बरी कर दिया है। कोर्ट ने अपने तीखे शब्दों में पुलिस जांच को ‘बेईमानी से की गई और मनगढ़ंत’ बताते हुए जमकर फटकार लगाई।

यह फैसला जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस ए.के. सिंह की खंडपीठ ने सुनाया, जो नैन सिंह धुर्वे और उनके बेटे की अपील पर सुनवाई कर रही थी। इन दोनों को मंडला जिला सत्र न्यायालय ने नवंबर 2023 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। आरोप था कि उन्होंने अपनी बेटी/बहन से प्रेम संबंध रखने वाले युवक राजेन्द्र की हत्या कर दी।

मौत के बाद भी कॉल – कोर्ट ने जताई हैरानी

कोर्ट ने अभियोजन के केस में एक बड़े विरोधाभास की ओर ध्यान दिलाया — कॉल डिटेल रिकॉर्ड के अनुसार मृतक राजेन्द्र की 25 सितंबर 2021 तक उस युवती से बातचीत हो रही थी, जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृत्यु की तारीख उससे पहले बताई गई थी।

Video thumbnail

कोर्ट ने टिप्पणी की,
“अभी तक विज्ञान इतना विकसित नहीं हुआ है कि कोई मृत व्यक्ति मोबाइल फोन से कॉल करके आरोपी की बेटी से बात कर सके।”
कोर्ट ने इसे मध्य प्रदेश में जांच की स्थिति पर एक गहरा सवाल उठाने वाला ‘लोप’ बताया।

READ ALSO  आरटीओ ने ऑक्सीजन गैस डिलीवरी करने वाले वाहन के कागजात छीने, बोले पहले चुनाव जरूरी

“जांच ईमानदार नहीं थी”

पीठ ने कहा कि पुलिस का ध्यान निष्पक्ष और वैज्ञानिक जांच करने की बजाय केवल चार्जशीट दाखिल करने में था। जांच में झूठ और मिलावट के कई संकेत थे।

‘प्लांट किया गया गवाह’, अनदेखी की गई साक्ष्य

अभियोजन का पूरा मामला एक कथित चश्मदीद गवाह चेत सिंह पर टिका था, जिसने कहा कि 19 सितंबर 2021 की रात वह आरोपियों के साथ था और उसने देखा कि वे किसी को पीट रहे थे। पुलिस ने मान लिया कि वह व्यक्ति राजेन्द्र ही था।

लेकिन कोर्ट ने चेत सिंह की गवाही को ‘प्लांटेड’ करार दिया। वह घटना के पांच महीने बाद केरल से गांव लौटा और फिर बयान दिया जो अभियोजन के पक्ष में जाता था।

READ ALSO  मुस्लिम से हिंदू बनी लड़की ने इलाहाबाद हाई कोर्ट से लगाई सुरक्षा की गुहार, कोर्ट ने एसएसपी मेरठ को दिया आदेश

कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि राजेन्द्र के परिजनों ने कभी पुलिस को उस रिश्ते के बारे में क्यों नहीं बताया? या आरोपियों पर शक क्यों नहीं किया? पुलिस ने युवती से भी कोई पूछताछ नहीं की कि क्या वास्तव में ऐसा कोई संबंध था और क्या परिवार इसका विरोध करता था।

डीजीपी को दिए कड़े निर्देश

कोर्ट ने इस मामले में पुलिस की ‘यांत्रिक’ और ‘मनगढ़ंत’ जांच पर गंभीर चिंता जताते हुए मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (DGP) को निम्न निर्देश दिए:

  • संबंधित जांच अधिकारी और अन्य अधिकारियों के विरुद्ध विभागीय जांच शुरू की जाए।
  • जांच की पद्धति को बेहतर बनाने के लिए दिशानिर्देश जारी किए जाएं ताकि निर्दोष व्यक्तियों की जीवन और स्वतंत्रता से खिलवाड़ न हो।
  • 30 दिनों के भीतर जांच और की गई कार्रवाई की रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत की जाए।
READ ALSO  कोर्ट ने दिल्ली सरकार के निलंबित अधिकारी प्रेमोदय खाखा को 1 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया

राज्य सरकार के अधिवक्ता अजय तमरकार को निर्देश दिया गया कि वे इस निर्णय की प्रमाणित प्रति और सभी संबंधित अधिकारियों की सूची डीजीपी को सौंपें।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles