मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, जबलपुर ने वकीलों को दैनिक अदालती कामकाज में आ रही गंभीर समस्याओं को लेकर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को एक विस्तृत पत्र लिखा है। एसोसिएशन ने रोस्टर प्रणाली, केसों की लिस्टिंग और प्रशासनिक अव्यवस्थाओं पर कड़ी आपत्ति जताते हुए चेतावनी दी है कि यदि इन ‘ज्वलंत समस्याओं’ का तत्काल निराकरण नहीं किया गया, तो अधिवक्ता समुदाय न्यायालयीन कार्य से विरत (Abstain from work) होने जैसा कठोर कदम उठाने को मजबूर हो सकता है।
इस संबंध में भावी रणनीति तय करने के लिए एसोसिएशन ने आगामी सोमवार, 1 दिसंबर 2025 को जनरल बॉडी की एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है।
बार एसोसिएशन के अध्यक्ष धन्य कुमार जैन और सचिव परितोष त्रिवेदी द्वारा 26 नवंबर 2025 को जारी पत्र (संदर्भ क्र. 826/25) में कहा गया है कि बार पदाधिकारी पिछले लगभग 6 माह से लगातार मौखिक और लिखित रूप से चीफ जस्टिस के संपर्क में हैं। इसके बावजूद, सुनवाई, लिस्टिंग और रोस्टर से जुड़ी वकीलों की समस्याओं का कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है, जिससे अधिवक्ताओं में गहरा असंतोष है।
चीफ जस्टिस के समक्ष रखे गए 7 प्रमुख मुद्दे
बार एसोसिएशन ने अपने पत्र में 7 प्रमुख बिंदुओं को रेखांकित किया है, जिन्हें वे वकीलों के लिए सबसे बड़ी बाधा मान रहे हैं:
1. ड्रॉप बॉक्स सुविधा की बहाली की मांग पत्र में उल्लेख किया गया है कि पूर्व में हाईकोर्ट परिसर में ‘ड्रॉप बॉक्स’ की व्यवस्था थी, जिसमें अधिवक्ता अपने केस को किसी संभावित तिथि (Tentative Date) पर लिस्ट कराने के लिए कोर्ट स्लिप डालते थे और केस लॉक होकर लिस्ट हो जाता था। इस सुविधा के बंद होने से वकीलों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। एसोसिएशन ने इसे पुनः शुरू करने की मांग की है।
2. ‘Not Reached’ केसों पर असमंजस एसोसिएशन ने शिकायत की है कि जो प्रकरण समय अभाव के कारण नहीं सुने जा पाते (Not Reached), उनके दोबारा लिस्ट होने की कोई स्पष्ट नीति नहीं है। यहां तक कि कोर्ट स्लिप के माध्यम से फिक्स डेट के लिए दिए गए आवेदन भी लिस्टिंग में स्थान नहीं पा रहे हैं।
3. बेल मैटर्स और जजों का रोस्टर हाईकोर्ट में वर्तमान में 5 डिवीजन बेंच कार्यरत हैं। बार का सुझाव है कि यदि लंच के बाद जजों को बेल मैटर्स (जमानत याचिकाएं) वितरित कर दिए जाएं, तो आगामी शीतकालीन अवकाश (Winter Vacation) से पहले लंबित जमानत प्रकरणों की संख्या में भारी कमी लाई जा सकती है।
4. धारा 482 और 528 BNSS के लिए अलग बेंच बार ने बताया कि Cr.P.C. की धारा 482 (अब BNSS की धारा 528) के तहत दायर होने वाले फ्रेश केस भी लिस्ट नहीं हो पा रहे हैं। बेल रोस्टर के साथ इन मामलों की सुनवाई संभव नहीं हो पा रही है, इसलिए इनके लिए एक पृथक बेंच का गठन किया जाना अत्यंत आवश्यक है।
5. जजों की निष्ठा पर प्रश्नचिन्ह लगने का खतरा पत्र का सबसे गंभीर बिंदु रोस्टर में बदलाव को लेकर है। एसोसिएशन ने स्पष्ट शब्दों में लिखा है कि वकीलों को ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जो जज ‘रिलीफ ओरिएंटेड’ (राहत देने वाले दृष्टिकोण वाले) माने जाते हैं, उन्हें महत्वपूर्ण रोस्टर से वंचित किया जा रहा है या उनके रोस्टर में अनावश्यक बदलाव किया जा रहा है। बार का कहना है कि इस तरह की प्रशासनिक कार्रवाई से उन जजों की ईमानदारी और निष्ठा पर अनावश्यक प्रश्नचिन्ह लगता है, जो उचित नहीं है।
6. अवमानना याचिकाओं में जटिल प्रक्रिया हाल ही में कंटेंप्ट (Avmanana) मामलों में एक आदेश जारी किया गया है कि रिट पिटीशन के आदेश में उल्लेखित सभी प्रकरणों की प्रति भी साथ में फाइल की जाए। वकीलों का कहना है कि यह प्रक्रिया अव्यवहारिक है और इससे उन्हें अत्यधिक परेशानी हो रही है।
7. जजों के आपसी मतभेद और कोर्ट की गरिमा बार एसोसिएशन ने जजों के बीच के कथित मतभेदों के सार्वजनिक होने पर भी चिंता जताई है। पत्र में कहा गया है कि माननीय न्यायाधिपतिगणों के आपसी मतभेद या आरोप-प्रत्यारोप किसी न किसी माध्यम से वकीलों के बीच प्रचारित हो रहे हैं, जिससे हाईकोर्ट की गरिमामयी प्रतिष्ठा को आघात पहुंच रहा है।
1 दिसंबर को हो सकता है बड़ा फैसला
पत्र के अंत में बार एसोसिएशन ने बताया है कि सैकड़ों अधिवक्ताओं ने हस्ताक्षर युक्त आवेदन देकर सामान्य सभा (General Body Meeting) बुलाने और काम बंद करने का निवेदन किया है। इसी परिप्रेक्ष्य में 1 दिसंबर को बैठक बुलाई गई है। बार ने चीफ जस्टिस से विनम्र अनुरोध किया है कि वे इन समस्याओं पर तत्काल विचार करें ताकि सामान्य सभा में वकीलों को किसी सकारात्मक निर्णय से अवगत कराया जा सके।




