मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पर्वतारोही भावना देहरिया को वर्ष 2023 का विक्रम पुरस्कार प्रदान किए जाने पर अंतरिम रोक लगा दी है। यह आदेश पर्वतारोही मेधा परमार द्वारा दायर याचिका पर दिया गया है, जिसमें उन्होंने स्वयं को पुरस्कार की पात्र उम्मीदवार बताया है।
एकल-पीठ के न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा ने अंतरिम stay देते हुए याचिका में आवश्यक संशोधन की अनुमति दी और अगली सुनवाई 5 जनवरी को निर्धारित की।
मेधा परमार, जो सेहोर की रहने वाली हैं, ने अपनी याचिका में कहा है कि उन्हें पुरस्कार चयन पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन उन्होंने 22 मई 2019 को दुनिया की सबसे ऊँची चोटी माउंट एवरेस्ट पर भावना देहरिया से लगभग पाँच घंटे पहले तिरंगा फहराया था। परमार का कहना है कि उन्होंने सुबह 5 बजे शिखर छुआ, जबकि देहरिया 9:45 बजे पहुँचीं।
याचिका में यह तर्क भी दिया गया है कि एक वर्ष में केवल एक खिलाड़ी को विक्रम पुरस्कार देने के नियम में पहले भी ढील दी गई है। परमार ने उदाहरण दिया कि 2022 में राज्य के दो पर्वतारोही—भगवान सिंह और रतनैश पांडे—को एक साथ मंजूरी दी गई थी, जबकि उनकी 2016 की एवरेस्ट चढ़ाई में मात्र एक घंटे का अंतर था।
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तंखा ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दलील देते हुए कहा कि परमार एक वैध एवं योग्य उम्मीदवार हैं और जब तक उनकी याचिका पर अंतिम निर्णय नहीं हो जाता, तब तक पुरस्कार किसी और को नहीं दिया जाना चाहिए।
दलीलों पर विचार करने के बाद अदालत ने निर्देश दिया, “अगली सुनवाई तक प्रतिवादी अधिकारी 2023 के विक्रम पुरस्कार के वितरण समारोह का आयोजन न करें।”
हाईकोर्ट द्वारा अंतिम निर्णय लिए जाने तक पुरस्कार समारोह पर यह अंतरिम रोक लागू रहेगी।

