मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक निर्णय में अंतरधार्मिक विवाह मामले में विवाह रजिस्ट्रार के समक्ष अंकिता राठौर से बयान दर्ज कराने के लिए दिए गए पिछले आदेश पर अस्थायी रोक लगा दी है।
मुख्य न्यायाधीश एस के कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की खंडपीठ ने यह रोक लगाई है। ये न्यायाधीश अंकिता के पिता हीरालाल राठौर की अपील पर सुनवाई कर रहे हैं। इस अपील में हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश द्वारा 22 अक्टूबर को दिए गए आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत विवाह के लिए अंकिता के बयान की रिकॉर्डिंग निर्धारित की गई थी।
अंकिता राठौर, एक हिंदू महिला, हसनैन अंसारी, एक मुस्लिम व्यक्ति से विवाह करना चाहती थी, इस विवाह को अंकिता के अपने परिवार सहित विभिन्न वर्गों से काफी विरोध का सामना करना पड़ा। जोड़े ने पहले अपने अंतरधार्मिक संबंधों के कारण खतरों का हवाला देते हुए न्यायिक सुरक्षा की मांग की थी, जिसके कारण अंकिता की सुरक्षा के लिए प्रारंभिक न्यायालय आदेश और विवाह पंजीकरण की बाद की व्यवस्था हुई।
हीरालाल राठौर का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील अशोक लालवानी ने तर्क दिया कि विवाह रजिस्ट्रार विशेष विवाह अधिनियम के तहत हिंदू और मुस्लिम के बीच विवाह की वैधता पर निर्णय लेने के लिए सक्षम प्राधिकारी नहीं है। उन्होंने हाईकोर्ट के एक अन्य न्यायाधीश के पिछले फैसले का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि मुस्लिम कानून के अनुसार, मुस्लिम पुरुष और हिंदू महिला के बीच विवाह को वैध नहीं माना जाता है; ऐसे मिलन को ‘अनियमित’ या ‘फासीद’ माना जाता है।
एकल न्यायाधीश के पिछले निर्देश में अंकिता के लिए सुरक्षात्मक हिरासत उपाय भी शामिल थे, जिसमें पुलिस सुरक्षा और महिला के संस्थान में उसके निर्धारित विवाह पंजीकरण तक अस्थायी निवास अनिवार्य था।