मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इंदौर प्रशासन को निर्देश दिया है कि विजयादशमी (दशहरा) उत्सव के दौरान सोनम रघुवंशी या किसी अन्य व्यक्ति का पुतला नहीं जलाया जाए। सोनम पर आरोप है कि उसने अपने पति की हत्या हनीमून के दौरान करवाई थी।
यह आदेश शनिवार को जस्टिस प्रणय वर्मा की एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान दिया। याचिका सोनम की मां, संगीता रघुवंशी ने दायर की थी, जिसमें इंदौर की एक सामाजिक संस्था के पुतला दहन कार्यक्रम को चुनौती दी गई थी।
सोनम का पति, राजा रघुवंशी, 23 मई को हनीमून के दौरान मेघालय में लापता हो गया था। 2 जून को उसका क्षत-विक्षत शव पूर्वी खासी हिल्स जिले के सोहरा (चेरापूंजी) क्षेत्र की एक जलप्रपात खाई से मिला। इस मामले में सोनम और उसके कथित प्रेमी सहित कई लोगों को गिरफ्तार किया गया।

इंदौर की संस्था ‘पौरुष’ (पीपल अगेंस्ट अनइक्वल रूल्स यूज्ड टू शेल्टर हैरेसमेंट) ने इस सप्ताह घोषणा की थी कि वह “सुपर्णखा दहन” के तहत 11 सिरों वाला पुतला जलाएगी, जिसमें उन महिलाओं की तस्वीरें होंगी जो पति, बच्चों या ससुरालजनों की हत्या के आरोप में जेल में हैं, जिनमें सोनम का नाम भी शामिल था।
जस्टिस वर्मा ने कहा कि ऐसा कृत्य लोकतांत्रिक व्यवस्था में अस्वीकार्य है और यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।
अदालत ने कहा, “भले ही याचिकाकर्ता की बेटी किसी आपराधिक मामले में आरोपी हो, फिर भी इस प्रकार का पुतला दहन अनुमति योग्य नहीं हो सकता क्योंकि यह निश्चित रूप से याचिकाकर्ता, उसकी बेटी और पूरे परिवार के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करेगा।”
अदालत ने जिला कलेक्टर, पुलिस आयुक्त और थाना प्रभारी (एसएचओ) को निर्देश दिया कि किसी भी स्थिति में ऐसा पुतला दहन न होने पाए।
संगीता रघुवंशी ने कहा कि इस तरह का आयोजन उनके परिवार की गरिमा और प्रतिष्ठा को स्थायी क्षति पहुँचाएगा और जीवन, स्वतंत्रता, समानता व निजता जैसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।
उन्होंने पीटीआई से कहा, “कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि कोई भी असंवैधानिक व अवैध कृत्य, जिससे परिवार की छवि धूमिल हो, न हो सके।”
संस्था पौरुष के संयोजक अशोक दशोर ने बताया कि उनका उद्देश्य “व्यभिचार, अनैतिकता, मूल्यहीनता और अभद्रता जैसी नकारात्मक प्रवृत्तियों के प्रतीकात्मक दहन” का था। लेकिन उन्होंने कहा, “अब जब कोर्ट का आदेश आ चुका है, तो हम उसका पालन करेंगे।”
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि अन्य राज्यों की आरोपी महिलाओं के पुतले का दहन भी प्रतिबंधित है और ऐसी परंपराएँ लोकतांत्रिक ढांचे में स्वीकार्य नहीं हैं।