मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा ने अवैध खनन से संबंधित एक मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। 1 सितंबर के अपने आदेश में न्यायाधीश ने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक संजय पाठक ने लंबित मामले के संबंध में उनसे फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया था, जिसके कारण उन्होंने यह निर्णय लिया। अब इस मामले को मुख्य न्यायाधीश के पास एक नई पीठ के गठन के लिए भेज दिया गया है।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला ‘आशुतोष दीक्षित बनाम आर्थिक अपराध शाखा व अन्य’ नामक एक रिट याचिका से संबंधित है, जो मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के समक्ष दायर की गई थी। याचिकाकर्ता आशुतोष दीक्षित ने शुरुआत में आर्थिक अपराध शाखा (EOW), भोपाल में बड़े पैमाने पर अवैध खनन का आरोप लगाते हुए एक शिकायत दर्ज कराई थी और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी।
जब EOW ने निर्धारित समय-सीमा के भीतर प्रारंभिक जांच पूरी नहीं की, तो श्री दीक्षित ने एजेंसी पर निष्क्रियता का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट का रुख किया।

इसी बीच, भाजपा विधायक संजय पाठक, जो मूल रिट याचिका में पक्षकार नहीं थे, ने मामले में हस्तक्षेप करने और अपनी बात रखने की अनुमति देने के लिए एक आवेदन दायर किया।
न्यायालय का आदेश और सुनवाई से अलगाव
1 सितंबर को पारित एक संक्षिप्त लेकिन महत्वपूर्ण आदेश में, न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा ने मामले की आगे की सुनवाई से इनकार करने का कारण उजागर किया। न्यायालय ने बताया कि श्री पाठक द्वारा मामले के संबंध में संपर्क स्थापित करने का प्रयास किया गया था।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने अपने आदेश में कहा, “श्री संजय पाठक ने इस विशेष मामले के संबंध में चर्चा करने के लिए मुझे फोन करने का प्रयास किया है, इसलिए, मैं इस रिट याचिका पर सुनवाई करने का इच्छुक नहीं हूं।”
एक विचाराधीन मामले के बारे में बाहरी संपर्क के इस प्रयास का हवाला देते हुए, न्यायमूर्ति मिश्रा ने खुद को कार्यवाही से अलग कर लिया।
न्यायालय का निर्णय
यह निष्कर्ष निकालते हुए कि उनके लिए याचिका पर सुनवाई जारी रखना अनुचित होगा, न्यायमूर्ति मिश्रा ने हाईकोर्ट रजिस्ट्री को प्रशासनिक आदेशों के लिए मामले को मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखने का निर्देश दिया।
आदेश में कहा गया, “इस मामले को विचार के लिए उपयुक्त पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने हेतु माननीय मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखा जाए।”
इस मामले में याचिकाकर्ता आशुतोष दीक्षित की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एस.आर. ताम्रकार और अधिवक्ता अंकित चोपड़ा पेश हुए। आर्थिक अपराध शाखा का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता मधुर शुक्ला ने किया, जबकि आवेदक संजय पाठक की ओर से अधिवक्ता अंशुमान सिंह पेश हुए।