मेघालय हाईकोर्ट ने शिलांग हवाई अड्डे के विस्तार में देरी पर केंद्र व राज्य सरकार को फटकार लगाई


मेघालय हाईकोर्ट ने शिलांग हवाई अड्डे के रनवे विस्तार में हो रही लंबी देरी पर केंद्र और राज्य सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए चेतावनी दी कि इस परियोजना को “एकदम सामान्य सरकारी गति” से आगे नहीं बढ़ने दिया जा सकता, जबकि इसमें तत्काल कार्रवाई की जरूरत है।

मुख्य न्यायाधीश इंद्र प्रसन्न मुखर्जी और न्यायमूर्ति वानलुरा डिएंगडोह की खंडपीठ ने कहा कि बड़े विमानों की आवाजाही के लिए रनवे बढ़ाने की आवश्यकता से अधिकारी भलीभांति अवगत हैं, लेकिन कार्यान्वयन में परियोजना की तात्कालिकता का अभाव है।

अदालत ने बताया कि निजी स्वामित्व वाली 11.75 एकड़ जमीन अधिग्रहण के लिए जिला ग्रामीण विकास एजेंसी (डीआरडीए) को 72.17 करोड़ रुपये पहले ही दिए जा चुके हैं, फिर भी बिक्री या हस्तांतरण समझौते अब तक नहीं हुए हैं और अधिकारी अभी भी प्रारंभिक सीमांकन में जुटे हैं।

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अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नितेश मोजिका ने अदालत को बताया कि भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) तभी निर्माण अनुबंध को अंतिम रूप दे सकता है जब उसे नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए), पर्यावरण प्राधिकरण और भूमि अधिग्रहण पूर्ण होने के तीनों अनुमोदन मिल जाएं। उन्होंने कहा कि पर्यावरणीय स्वीकृति 31 अक्तूबर तक मिलने की उम्मीद है, जबकि डीजीसीए की मंजूरी अभी लंबित है।

अदालत ने कहा, “इन परिस्थितियों में हम केवल यही निर्देश दे सकते हैं कि अब तक जो कदम एकदम सामान्य सरकारी गति से उठाए गए हैं, उन्हें तेज किया जाए। यह उच्च समय है कि राज्य के कल्याण के लिए सोची गई इस परियोजना को यथाशीघ्र पूरा किया जाए।” अदालत ने केंद्र और राज्य एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि बाधाओं को दूर किया जा सके।

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पीठ ने दोनों सरकारों को 8 दिसंबर से पहले कार्यवाही रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
वर्तमान में शिलांग का उमरोई हवाई अड्डा छोटे विमानों के लिए ही परिचालित है, जिससे यात्रियों को व्यापक संपर्क के लिए लगभग 100 किमी दूर गुवाहाटी हवाई अड्डे पर निर्भर रहना पड़ता है। अदालत ने कहा कि इस विस्तार का समय पर पूरा होना राज्य की कनेक्टिविटी और आर्थिक विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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