मेघालय हाईकोर्ट में प्रस्तुत एक हालिया रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि राज्य में अवैध कोयला खनन अब भी जारी है। रिपोर्ट के अनुसार, 1.69 लाख मीट्रिक टन (MT) अवैध रूप से निकाले गए कोयले की पहचान की गई है। यह निष्कर्ष तब सामने आया है जब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने एक दशक पहले राज्य में असंगत खनन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था।
यह रिपोर्ट हाईकोर्ट द्वारा गठित समिति की सिफारिशों के आधार पर सरकार द्वारा नियुक्त एक निजी फर्म द्वारा किए गए ड्रोन वीडियोग्राफी और वॉल्यूमेट्रिक आकलन के परिणामस्वरूप तैयार की गई थी। इस सर्वेक्षण में विभिन्न जिलों की मैपिंग की गई, जिसमें पश्चिम जयंतिया हिल्स (1,69,378.12 MT), पूर्वी गारो हिल्स (189.48 MT) और दक्षिण-पश्चिम खासी हिल्स (34.75 MT) में बड़ी मात्रा में अवैध रूप से खनन किया गया कोयला पाया गया।
समिति ने अपनी 27वीं अंतरिम रिपोर्ट में कहा, “यह स्पष्ट रूप से प्रमाणित करता है कि इन जिलों में अवैध कोयला खनन अब भी जारी है।” रिपोर्ट में उन्नत मैपिंग तकनीकों के उपयोग की पुष्टि की गई और अवैध खनन को रोकने में जारी चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया।

सरकार की लापरवाही पर पैनल की कड़ी टिप्पणी
इसके अलावा, पैनल ने मेघालय सरकार की ढीली निगरानी व्यवस्था पर भी नाराजगी जताई। रिपोर्ट में बताया गया कि ₹45 लाख से अधिक खर्च कर 11 ड्रोन नियंत्रण कक्ष स्थापित करने के बावजूद, सरकार ने पिछले 10 महीनों में केवल छह ड्रोन उड़ानें संचालित की हैं—जिसे समिति ने “बेहद निराशाजनक स्थिति” बताया।
रिपोर्ट में यह भी उजागर किया गया कि नीलामी किए गए कोयले के खरीदारों में से कई ने अपनी जिम्मेदारियां पूरी नहीं कीं। 42 सफल बोलीदाताओं में से 22 बोलीदाताओं ने निर्धारित शुल्क जमा नहीं किया, जबकि उन्हें भुगतान और कोयला उठाने के लिए अतिरिक्त समय दिया गया था।
पैनल ने समय सीमा विस्तार का किया विरोध, सरकार से खदान बंद करने की अपील
पैनल ने ऐसे खरीदारों को और समय देने की सिफारिश से इनकार कर दिया, जिन्होंने समय पर भुगतान और कोयले की निकासी नहीं की। साथ ही, राज्य सरकार को तत्काल खदान बंदी प्रक्रिया लागू करने का निर्देश दिया, क्योंकि खुले कोयला खदान न केवल पर्यावरण के लिए खतरा हैं, बल्कि लोगों की जान के लिए भी गंभीर जोखिम पैदा कर सकते हैं।