मणिपुर हाईकोर्ट ने मंगलवार को राज्य प्राधिकरणों, जिनमें मणिपुर मेडिकल काउंसिल भी शामिल है, को निर्देश दिया कि वे एक डॉक्टर को, जिन्होंने जेंडर री-असाइनमेंट सर्जरी कराई है, उनके नए नाम और लैंगिक पहचान के अनुसार ताज़ा शैक्षणिक प्रमाणपत्र जारी करें।
यह याचिका 32 वर्षीय डॉ. बियोंसी लैश्रम ने दायर की थी, जिनका जन्म पुरुष के रूप में हुआ था और शैक्षणिक व पेशेवर अभिलेखों में नाम “बोबोई लैश्रम” दर्ज था। 8 अक्टूबर 2019 को जेंडर री-असाइनमेंट सर्जरी के बाद उन्होंने महिला के रूप में पहचान ग्रहण की और अपने आधिकारिक प्रमाणपत्रों में संशोधन की मांग की।
न्यायमूर्ति ए. गुणेश्वर शर्मा ने सुनवाई के दौरान पाया कि डॉ. लैश्रम के कक्षा 10 और 12 के प्रमाणपत्रों, एमबीबीएस डिग्री और मेडिकल काउंसिल पंजीकरण में नाम और लिंग “पुरुष” के रूप में दर्ज है। जबकि आधार कार्ड, पैन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और इम्फाल वेस्ट के जिला मजिस्ट्रेट द्वारा जारी ट्रांसजेंडर पहचान पत्र में उनका नया नाम और महिला लिंग मान्यता प्राप्त कर चुका है। इसके बावजूद बोर्ड और विश्वविद्यालयों ने उनके दस्तावेज़ों में सुधार से इनकार कर दिया।

अदालत ने कहा कि ट्रांसजेंडर पर्सन्स (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 और ट्रांसजेंडर नियम, 2020 के तहत डॉ. लैश्रम अपनी स्वयं-घोषित लैंगिक पहचान की मान्यता पाने की हकदार हैं। संबंधित अधिकारियों द्वारा प्रमाणपत्र संशोधन से इनकार कानून द्वारा प्रदत्त अधिकारों के विपरीत है।
अदालत ने दर्ज किया, “इम्फाल वेस्ट के जिला मजिस्ट्रेट ने पहले ही डॉ. बियोंसी लैश्रम के नाम से महिला लिंग के रूप में ट्रांसजेंडर पहचान पत्र जारी किया है। इसके बाद उनके आधार, पैन और मतदाता पहचान पत्र में भी यही पहचान दर्ज है।”
हाईकोर्ट ने मणिपुर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, उच्चतर माध्यमिक शिक्षा परिषद और मणिपुर विश्वविद्यालय को आदेश दिया कि वे एक महीने के भीतर डॉ. लैश्रम के नए नाम और लिंग के अनुसार प्रमाणपत्र जारी करें। साथ ही राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वे सभी संबंधित संस्थानों को अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिए आवश्यक आदेश जारी करें।