महाराष्ट्र के महाधिवक्ता (Advocate General) डॉ. बीरेन्द्र साराफ ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है। वे 30 सितंबर को पद छोड़ेंगे, जिससे उनका कार्यकाल तीन साल से थोड़ा अधिक का होगा।
डॉ. साराफ को अगस्त 2022 में महाधिवक्ता नियुक्त किया गया था। उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भेजे अपने इस्तीफ़े में कहा कि वे 30 सितंबर से पद छोड़ेंगे ताकि राज्य सरकार को उत्तराधिकारी चुनने और सुचारु परिवर्तन सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त समय मिल सके।
सूत्रों के अनुसार, डॉ. साराफ ने मुख्यमंत्री और राज्य सरकार के प्रति आभार जताया और अपने कार्यकाल को अपने पेशेवर जीवन का “सम्मान और सौभाग्य” बताया।
डॉ. साराफ ने कहा— “यह तीन साल संतोषजनक रहे और अब मैं अपनी निजी ज़िंदगी में लौटना चाहता हूँ।”
करियर और प्रमुख मुकदमे
डॉ. साराफ पिछले 25 वर्षों से बॉम्बे हाईकोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे हैं। उन्होंने गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, मुंबई से स्नातक किया और तीनों वर्षों में मुंबई विश्वविद्यालय में टॉपर रहे। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ (तत्कालीन अधिवक्ता) के चेंबर से की। बाद में उन्होंने पूर्व महाधिवक्ता रवि कदम के चेंबर में कार्य किया।
साल 2020 में उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता (Senior Advocate) नामित किया गया। वे छह वर्षों तक बॉम्बे बार एसोसिएशन के सचिव भी रहे।
अपने करियर में डॉ. साराफ कई हाई-प्रोफाइल और विवादित मामलों में पेश हुए। 2020 में उन्होंने अभिनेत्री कंगना रनौत की ओर से बॉम्बे हाईकोर्ट में बीएमसी द्वारा बांद्रा स्थित उनके घर पर की गई तोड़फोड़ कार्रवाई को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने बीएमसी का नोटिस रद्द कर दिया और रनौत को संपत्ति को रहने योग्य बनाने की अनुमति दी।
इसके अलावा, उन्होंने ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइज़ेज लिमिटेड और उसके सबसे बड़े शेयरधारक Invesco Developing Markets Fund के बीच चले विवाद में भी पैरवी की।
राज्य सरकार जल्द ही नए महाधिवक्ता की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करेगी।




