मद्रास हाईकोर्ट के जज न्यायमूर्ति जी.आर. स्वामीनाथन ने न्यायिक दायित्व से आगे बढ़ते हुए एक अस्वस्थ वृद्ध व्यक्ति की मानसिक स्थिति का आकलन करने के लिए उनके आवास का दौरा किया। उनके साथ उनकी पत्नी कमाक्षी भी थीं, जो विशेष शिक्षा विशेषज्ञ हैं और मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्तियों के साथ काम करने का अनुभव रखती हैं।
83 वर्षीय पी.के.एम. दुरई वर्ष 2021 में पक्षाघात का शिकार हुए थे। वे बोलने में असमर्थ हैं और ट्यूब के माध्यम से भोजन प्राप्त कर रहे हैं। ऐसे में अदालत में उनकी पेशी उनके स्वास्थ्य के लिए अत्यंत कष्टदायक होती। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए, न्यायमूर्ति स्वामीनाथन ने स्वयं उनके चेन्नई स्थित कोडंबक्कम आवास जाकर स्थिति का अवलोकन किया।
यह दौरा एक याचिका के संदर्भ में किया गया था, जिसे उनके बड़े बेटे शिवकुमार चेल्लातुरै ने 2023 में दायर किया था। उन्होंने अदालत से मांग की थी कि उन्हें अपने पिता की संपत्तियों का प्रबंधक नियुक्त किया जाए और उन्हें संपत्तियों के हस्तांतरण की अनुमति दी जाए। उन्होंने यह भी दावा किया कि उनके पिता मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं।

जज की पत्नी ने सत्यापन के लिए ‘अस्पताल’ और ‘घर’ शब्द लिखकर बुजुर्ग से चयन करने को कहा। पहले उन्होंने ‘अस्पताल’ को छुआ, लेकिन जब न्यायाधीश ने पूछा कि क्या वे अस्पताल जाना चाहते हैं, तो वे रोने लगे। जब फिर से परीक्षण किया गया, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से ‘घर’ शब्द को छुआ और इशारों से बताया कि वे घर में ही सहज हैं।
न्यायमूर्ति ने आदेश में लिखा, “उनकी शारीरिक स्थिति अत्यंत गंभीर है, लेकिन मानसिक रूप से वे सजग हैं। किसी भी स्थिति में उन्हें ‘मानसिक रोगी’ नहीं कहा जा सकता।” उन्होंने यह भी कहा, “अगर उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया, तो वे अकेले पड़ जाएंगे, जबकि घर में उन्हें परिजनों और पोतों का साथ मिलेगा। उनके हित सर्वोपरि हैं।”
हालांकि न्यायाधीश ने यह पाया कि याचिका में कोई ठोस आधार नहीं है, फिर भी उन्होंने इसे तत्काल खारिज नहीं किया क्योंकि याचिकाकर्ता द्वारा नियुक्त वरिष्ठ अधिवक्ता उपस्थित नहीं थे।