मद्रास हाईकोर्ट परिसर में मंगलवार को उस समय अफरा-तफरी मच गई जब 15 वर्षीय एक लड़की ने कस्टडी मामले की सुनवाई के तुरंत बाद कोर्ट भवन की पहली मंज़िल से छलांग लगा दी। उसे चोटें आईं और हाईकोर्ट की एंबुलेंस से तुरंत राजीव गांधी सरकारी सामान्य अस्पताल (आरजीजीएच) ले जाया गया।
मामला पृष्ठभूमि
नीलांकरई पुलिस, चेन्नई ने लड़की को अंडमान द्वीप समूह से लाकर 8 अगस्त 2025 को मद्रास हाईकोर्ट की खंडपीठ—न्यायमूर्ति एम. एस. रमेश और न्यायमूर्ति वी. लक्ष्मीनारायणन—के समक्ष पेश किया था। यह कार्रवाई उसके जैविक पिता द्वारा दायर हेबियस कॉर्पस याचिका के बाद हुई थी। पिता का तलाक उसकी मां से हो चुका है।
मंगलवार को जब मामला दोबारा सुना गया, तो नाबालिग ने अंडमान में अपनी मां के साथ रहने की इच्छा जताई। हालांकि, कोर्ट के मध्यस्थता केंद्र से प्राप्त गोपनीय रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद पीठ ने माना कि उसका वहां लौटना उसके लिए अनुकूल और सुरक्षित नहीं होगा।

अदालत के निर्देश
न्यायाधीशों ने पुलिस को निर्देश दिया कि लड़की को चेन्नई के केलीज़ स्थित सरकारी बालिका गृह में रखा जाए और बाद में मानसिक स्वास्थ्य मूल्यांकन के लिए किलपॉक के इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ ले जाया जाए। अदालत ने यह भी आदेश दिया कि मूल्यांकन रिपोर्ट 26 अगस्त 2025 तक सीलबंद लिफाफे में पेश की जाए।
घटना
सुनवाई के बाद जब पुलिस लड़की को कोर्ट की गलियों से ले जा रही थी, तो उसने कथित तौर पर भागने की कोशिश की। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लगाए गए सजावटी लाइट्स को पकड़कर वह नीचे उतरने की कोशिश कर रही थी, लेकिन संतुलन बिगड़ने से पहली मंज़िल से नीचे गिर गई।
एक प्रत्यक्षदर्शी वकील ने बताया, “उसे तुरंत हाईकोर्ट की एंबुलेंस से सरकारी अस्पताल ले जाया गया। यह पुलिस से बचकर भागने की कोशिश के दौरान हुआ एक हादसा प्रतीत होता है, आत्महत्या का प्रयास नहीं। हालांकि, असल कारण तो जांच से ही पता चलेगा।”
पुलिस इस घटना की आगे जांच करेगी, जबकि अदालत मानसिक स्वास्थ्य मूल्यांकन रिपोर्ट का इंतजार करेगी।