मद्रास हाई कोर्ट ने शुक्रवार को निचली अदालत के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें तमिलनाडु के वाचथी गांव में चंदन की तस्करी के लिए छापेमारी के दौरान महिलाओं के यौन उत्पीड़न सहित आदिवासियों पर अत्याचार के लिए वन और पुलिस कर्मियों सहित 215 लोगों को दोषी ठहराया गया और सजा सुनाई गई।
हाई कोर्ट ने धर्मपुरी की निचली अदालत के आदेश के खिलाफ दायर अपीलों को खारिज कर दिया, जिसमें 215 लोगों को दोषी ठहराया गया था। इसने उन्हें 1 से 10 साल तक की जेल की सजा सुनाई थी।
शुक्रवार को न्यायमूर्ति पी वेलमुरुगन ने धर्मपुरी में उस कुख्यात घटना के दौरान यौन उत्पीड़न की शिकार 18 महिलाओं को 10 लाख रुपये का तत्काल मुआवजा देने का भी निर्देश दिया, जिसने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया था। पीड़ितों के वकील ने कहा कि अदालत ने इस राशि में से पांच लाख रुपये बलात्कार के आरोपियों से वसूलने का निर्देश दिया है।
धर्मपुरी अदालत ने 1992 की घटना के सिलसिले में चार आईएफएस अधिकारियों, पुलिस के 84 लोगों और राजस्व विभाग के पांच लोगों सहित 126 वन कर्मियों को दोषी ठहराया था, जिसकी जांच बाद में सीबीआई ने की थी।
269 अभियुक्तों में से 54 की मुकदमे की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई।