12 जून को अहमदाबाद में हुए भीषण एयर इंडिया विमान हादसे, जिसमें 260 लोगों की जान गई, के मद्देनज़र एक अधिवक्ता ने मद्रास हाईकोर्ट का रुख किया है। उन्होंने विमानन दुर्घटनाओं से जुड़ी मीडिया रिपोर्टिंग को लेकर जांच पूरी होने तक दिशानिर्देश बनाने और लागू करने की न्यायिक मांग की है।
यह जनहित याचिका (PIL) अधिवक्ता एम. प्रविण द्वारा गुरुवार को दाखिल की गई। याचिका में कोर्ट से आग्रह किया गया है कि सरकार को निर्देशित किया जाए कि वह समाचार चैनलों, डिजिटल प्लेटफार्मों और सोशल मीडिया द्वारा अपुष्ट व अटकलों पर आधारित जानकारी के प्रसार पर रोक लगाने के लिए आवश्यक सुरक्षा उपाय लागू करे।
याचिका में कहा गया है कि वर्तमान में मीडिया द्वारा हादसों के तुरंत बाद पायलटों सहित फ्लाइट क्रू पर दोषारोपण की प्रवृत्ति चिंताजनक है। 12 जून की दुर्घटना के बाद आई कई अटकलों पर आधारित रिपोर्टों का हवाला देते हुए प्रविण ने तर्क दिया कि ऐसी रिपोर्टिंग न केवल विमानन पेशेवरों की प्रतिष्ठा और करियर को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि उनके संविधान प्रदत्त सम्मान, निजता और निर्दोष माने जाने के अधिकार (अनुच्छेद 14, 19(1)(a) और 21) का उल्लंघन भी करती है।

याचिका में कहा गया है: “अपुष्ट या मानहानिक सामग्री का लापरवाह प्रकाशन न केवल जनता के विमानन क्षेत्र में विश्वास को ठेस पहुंचाता है, बल्कि जांच प्रक्रिया की निष्पक्षता और विश्वसनीयता को भी प्रभावित करता है।”
प्रविण ने बताया कि उन्होंने 14 जुलाई को नागरिक उड्डयन मंत्रालय, नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को एक औपचारिक प्रतिनिधित्व भेजा था। इसमें उन्होंने निम्नलिखित संस्थागत सुरक्षा उपायों का प्रस्ताव रखा:
- मीडिया संस्थानों को जिम्मेदार रिपोर्टिंग को लेकर परामर्श/एडवाइजरी जारी की जाएं;
- पायलटों की पहचान और प्रारंभिक जांच से जुड़ी सूचनाओं की गोपनीयता बनाए रखने के लिए प्रोटोकॉल तय किए जाएं;
- सूचना प्रौद्योगिकी नियमों के अंतर्गत डिजिटल प्लेटफार्मों के लिए कंटेंट मॉडरेशन फ्रेमवर्क लागू किया जाए।
हालांकि, याचिकाकर्ता ने बताया कि अभी तक किसी भी प्राधिकरण द्वारा इस पर कोई ठोस प्रतिक्रिया या कार्रवाई नहीं की गई है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि यह निष्क्रियता सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, IT (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियमों और विमानन क्षेत्र के मौजूदा विनियमों का उल्लंघन है। अगर इस पर जल्द नियंत्रण नहीं किया गया तो इससे न केवल विमानन सुरक्षा मूल्यांकन की निष्पक्षता प्रभावित होगी, बल्कि पत्रकारिता की नैतिकता पर भी प्रश्नचिह्न लग जाएगा।
याचिका में मांग की गई है कि अदालत मंत्रालयों, नियामकों और मीडिया से जुड़े पक्षों के बीच समन्वय सुनिश्चित करने के लिए उचित निर्देश जारी करे ताकि विमान दुर्घटनाओं के बाद जिम्मेदार और नैतिक रिपोर्टिंग के लिए व्यापक मानदंड तय किए जा सकें।