तलाक विवाद के बीच मद्रास हाईकोर्ट का आदेश: चेन्नई पुलिस रिप्लिंग के को-फाउंडर को परेशान न करे

मद्रास हाईकोर्ट ने चेन्नई पुलिस को आदेश दिया है कि वह सॉफ्टवेयर कंपनी Rippling के सह-संस्थापक प्रसन्ना शंकरनारायणन को उनके तलाक मामले के चलते अनावश्यक रूप से परेशान न करें। न्यायमूर्ति जी.के. इलंथिरैयन ने शंकरनारायणन की याचिका पर सुनवाई करते हुए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 528 के तहत यह निर्देश जारी किया।

यह आदेश तब आया जब शंकरनारायणन ने हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक थ्रेड में अपनी पत्नी पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि उनकी पत्नी ने झूठी शिकायतें दर्ज कर उन्हें यौन अपराधी के रूप में प्रस्तुत किया और यह भी झूठा आरोप लगाया कि वह अमेरिका में किसी वेश्यावृत्ति से जुड़े मामले में शामिल हैं। इसके अलावा उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उनकी पत्नी उनका बेटा अपहरण करने का प्रयास कर रही है।

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वरिष्ठ अधिवक्ताओं ए. रमेश और गीता लूथरा की ओर से प्रस्तुत की गई याचिका में शंकरनारायणन ने 24 मार्च को कोर्ट में गुहार लगाई कि पुलिस उनकी पत्नी के कहने पर उन्हें और उनके परिवार को लगातार परेशान कर रही है। याचिका में बताया गया कि 7 से 12 मार्च के बीच चेन्नई के विभिन्न स्थानों — जैसे होटल और रेंटल अपार्टमेंट — में पुलिस ने बलपूर्वक उनके बेटे को उनसे छीनने की कोशिश की। साथ ही, बेंगलुरु में उनकी मां और एक मित्र को भी पुलिस ने परेशान किया और उनसे बेटे को सौंपने की मांग की।

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याचिका में कहा गया कि यह पूरी कार्रवाई उनकी पत्नी की ओर से की गई झूठी और दुर्भावनापूर्ण शिकायतों के आधार पर हो रही है, जिससे न केवल वह बल्कि उनका पूरा परिवार और करीबी मित्र भी प्रभावित हो रहे हैं।

कानूनी दस्तावेजों में इस बात का उल्लेख है कि फरवरी में दोनों के बीच एक समझौता (MoU) हुआ था, जिसके तहत वे आपसी सहमति से तलाक और बेटे की संयुक्त कस्टडी पर राज़ी हुए थे। उन्होंने चेन्नई में रहकर बेटे के यात्रा दस्तावेजों को संयुक्त लॉकर में रखने पर भी सहमति जताई थी।

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हालांकि, याचिका के अनुसार, 3 मार्च को उनकी पत्नी बेटे को अपने कब्जे में लेकर MoU के नियमों का उल्लंघन कर गईं और इसके तुरंत बाद एक झूठी शिकायत भी दर्ज कराई। उन्होंने अब तक चेन्नई की उस अदालत में भी पेश होने से इनकार कर दिया है, जहां उनका तलाक मामला लंबित है।

हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब पुलिस को इस मामले में शंकरनारायणन को परेशान करने से रोक दिया गया है, जिससे उन्हें कुछ राहत मिली है।

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