जबलपुर में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों के पेंशन अधिकारों के संबंध में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, विशेष रूप से दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों को पेंशन पात्रता से वंचित कर दिया है। एक महत्वपूर्ण फैसले में, अदालत ने फैसला सुनाया कि केवल वे कर्मचारी जो योग्य सेवा का हिस्सा हैं, वे पेंशन लाभ का दावा कर सकते हैं।
न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल ने फैसला सुनाने वाली पीठ की अध्यक्षता करते हुए दृढ़ता से कहा कि दैनिक वेतन भोगी पेंशन अधिकारों के लिए पात्र नहीं हैं। यह फैसला एक पूर्व कर्मचारी मोतीलाल धर द्वारा दायर याचिका के जवाब में आया, जिन्होंने 1995 से 2011 तक कुल 17 वर्षों तक जल संसाधन विभाग में सर्वेक्षक के रूप में कार्य किया। अपनी लंबी सेवा के बावजूद, पेंशन समावेशन के लिए धर की याचिका दैनिक वेतन भोगी के रूप में उनकी रोजगार स्थिति के आधार पर खारिज कर दी गई थी।
कार्यवाही के दौरान, अदालत ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पेंशन के लिए पात्रता 1976 के पेंशन नियमों के नियम 3 (पी) के तहत निर्धारित की जाती है, जो तभी शुरू होती है जब कोई कर्मचारी पेंशन योग्य सेवा का हिस्सा होता है। दैनिक वेतनभोगी पद इस श्रेणी में नहीं आते हैं, जिससे ऐसे कर्मचारी पेंशन लाभ प्राप्त करने से अयोग्य हो जाते हैं।
राज्य सरकार ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता द्वारा उल्लिखित अवधि के दौरान, वह दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के रूप में कार्यरत था, और इस प्रकार, कानून के अनुसार, पेंशन अधिकारों के लिए योग्य नहीं है।