मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने मंदसौर में भैंस का बूचड़खाना खोलने के लिए नगर निगम के एक अधिकारी को अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) देने का निर्देश दिया है। न्यायालय ने शहर के धार्मिक महत्व के आधार पर स्थानीय निकाय की आपत्ति को खारिज कर दिया है।
17 दिसंबर को दिए गए फैसले में, इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति प्रणय वर्मा ने मंदसौर को धार्मिक शहर बताते हुए एनओसी खारिज करने को “पूरी तरह से अस्वीकार्य” बताया। यह फैसला स्थानीय कसाई साबिर हुसैन की याचिका पर सुनवाई करते हुए आया, जिन्हें मंदसौर नगर पालिका ने अनुमति देने से इनकार कर दिया था।
हुसैन ने भैंस के मांस का कारोबार शुरू करने के लिए 2020 में एनओसी के लिए आवेदन किया था। मुख्य नगरपालिका अधिकारी (सीएमओ) ने 9 दिसंबर, 2011 को राज्य सरकार की घोषणा का हवाला देते हुए इस आवेदन को खारिज कर दिया था, जिसमें भगवान शिव के पशुपतिनाथ मंदिर के चारों ओर 100 मीटर के दायरे को “पवित्र क्षेत्र” के रूप में नामित किया गया था, जहाँ पशु वध और मांस, अंडे, मछली और शराब की बिक्री प्रतिबंधित है।
हालांकि, बूचड़खाने के लिए हुसैन द्वारा प्रस्तावित स्थान इस निर्दिष्ट पवित्र क्षेत्र से बाहर है। हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार की अधिसूचना केवल इस सीमित क्षेत्र पर लागू होती है, जिससे इस घोषणा के तहत पूरे शहर को पवित्र मानना अनुचित है।
अदालत के फैसले में इस बात पर जोर दिया गया कि इस तरह के प्रतिबंधों को अधिसूचना में निर्दिष्ट 100 मीटर के दायरे से आगे मनमाने ढंग से नहीं बढ़ाया जा सकता है। इसने आगे उल्लेख किया कि बूचड़खाने की स्थापना की प्रक्रिया पहले ही सीएमओ द्वारा शुरू की जा चुकी है और राज्य सरकार की मंजूरी का इंतजार कर रही है।
न्यायमूर्ति वर्मा ने सीएमओ को निर्देश दिया कि वह जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 तथा वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 सहित पर्यावरण कानूनों के अनुपालन की शर्त पर बूचड़खाने की स्थापना की अनुमति देते हुए एनओसी जारी करें।