राजधानी दिल्ली में हाल ही में हुई एक अदालत की सुनवाई के दौरान एक वकील के आचरण को अनुचित मानते हुए मामला दिल्ली हाईकोर्ट और दिल्ली बार काउंसिल को जांच के लिए भेजा गया है। यह घटना अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमचला की अदालत में हुई, जहां अधिवक्ता अनिल कुमार गोस्वामी दो अभियुक्तों की ओर से प्रॉक्सी वकील के रूप में पेश हुए थे।
7 अप्रैल को हुई कार्यवाही के दौरान गोस्वामी ने पुलिस गवाह से जिरह करने से इनकार कर दिया और तर्क दिया कि मुख्य अधिवक्ता आपातकाल के कारण उपस्थित नहीं हो सके। लेकिन जब न्यायाधीश प्रमचला ने उनसे अभियुक्तों — पंकज शुक्ला और रोहित शुक्ला — की ओर से बार-बार पेश होने पर सवाल किया, तो गोस्वामी ने खुद को सिर्फ एक “प्रॉक्सी” बताया, जबकि रिकॉर्ड में उन्होंने वकालतनामा पर हस्ताक्षर कर अभियुक्तों की कानूनी प्रतिनिधित्व की जिम्मेदारी ली थी।
स्थिति तब और बिगड़ गई जब गोस्वामी ने न्यायाधीश से उलटे-सीधे सवाल पूछे जैसे, “क्या आप कोई हिसाब बराबर कर रहे हैं?” और “मुझे कैसे पता कि आपने और आपके स्टेनो ने क्या रिकॉर्ड किया या लिखा?” इस पर न्यायाधीश ने गोस्वामी के व्यवहार को “चौंकाने वाला” बताते हुए कहा कि यह पेशेवर अधिवक्ता के आचरण से कहीं दूर है और इसमें किसी निजी उद्देश्य की झलक दिखाई देती है।
जज प्रमचला ने अपने आदेश में कहा, “मुझे इसमें कोई संदेह नहीं कि एक अधिवक्ता का ऐसा आचरण बार काउंसिल के नियमों के मानकों पर पेशेवर नहीं कहा जा सकता।” उन्होंने यह भी कहा कि गोस्वामी पहले से अधिकृत अधिवक्ता के रूप में दर्ज हैं, फिर भी उन्होंने सार्वजनिक रूप से अदालत के रिकॉर्ड को चुनौती दी, जिससे कानूनी प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न हुई।
यह मामला अब दिल्ली हाईकोर्ट और दिल्ली बार काउंसिल के समक्ष विचारार्थ भेजा गया है।