इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में एक ऐसे मामले को गंभीरता से लिया है, जिसमें एक नए वकील ने मूल वकील से संपर्क किए बिना हलफनामे में एक वकील पर झूठा आरोप लगाया था। कोर्ट ने तीन व्यक्तियों पर ₹2-2 लाख का जुर्माना लगाया है और उनकी याचिका खारिज कर दी है। न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने मोहम्मद परवेज और दो अन्य की याचिका पर यह आदेश जारी किया।
कोर्ट ने नए अधिवक्ता अरुण कुमार सिंह को आदेश की एक प्रति याचिकाकर्ताओं को भेजने का निर्देश दिया है, जिसमें उन्हें चार सप्ताह के भीतर जुर्माने की राशि हाईकोर्ट लीगल सर्विस कमेटी के पास जमा करने का निर्देश दिया गया है। साथ ही, अनुपालन न करने की स्थिति में आवश्यक कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी है।
शुरू में मामले को संभाल रहे अधिवक्ता श्याम सुंदर त्रिपाठी ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने उनसे संपर्क नहीं किया, फाइल वापस नहीं मांगी और न ही उनका अनापत्ति प्रमाण पत्र मांगा। उन्होंने नए वकील द्वारा पेश हलफनामे में किए गए झूठे दावों पर आपत्ति जताई। अदालत ने पाया कि नया वकील कार्यवाही के दौरान मौजूद नहीं था, और पिछले वकील की वरिष्ठता और सत्यनिष्ठा विश्वसनीय प्रतीत हुई। अदालत ने आगे टिप्पणी की कि याचिकाकर्ताओं का आचरण सही नहीं था, क्योंकि उन्होंने झूठा हलफनामा दायर किया था। इसलिए, जुर्माना लगाया गया।