‘गद्दार’ वाले मज़ाक पर कानूनी विवादों के बीच कुणाल कामरा ने मद्रास हाईकोर्ट से ट्रांजिट अग्रिम जमानत की मांग की

कॉमेडियन कुणाल कामरा ने अपने एक विवादित मज़ाक को लेकर दर्ज हुई कई FIRs के बीच मद्रास हाईकोर्ट में ट्रांजिट अग्रिम जमानत की याचिका दायर की है। यह याचिका महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री पर की गई कथित टिप्पणी के बाद शुरू हुई कानूनी कार्यवाहियों की पृष्ठभूमि में दाखिल की गई है, जिनमें महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों में मुकदमे दर्ज हुए हैं।

तमिलनाडु के विल्लुपुरम निवासी कामरा ने दलील दी है कि चूंकि वह राज्य के निवासी हैं, इसलिए मद्रास हाईकोर्ट को उनके मामले में क्षेत्राधिकार प्राप्त है। उनकी अर्जेंट याचिका शुक्रवार को न्यायमूर्ति सुंदर मोहन के समक्ष प्रस्तुत की गई, जैसा कि Live Law ने रिपोर्ट किया।

पहली FIR, जिसे एक ज़ीरो FIR के रूप में पंजीकृत किया गया, शिवसेना विधायक मुराजी पटेल द्वारा कराई गई थी। इसमें सार्वजनिक उपद्रव, मानहानि सहित अन्य धाराएं लगाई गई हैं। यह मामला बाद में मुंबई के खार पुलिस स्टेशन को स्थानांतरित कर दिया गया।

Video thumbnail

कामरा की विवादास्पद प्रस्तुति में एक पैरोडी गाना शामिल था जिसमें ‘गद्दार’ शब्द का इस्तेमाल किया गया था। हालांकि इसमें किसी व्यक्ति का नाम नहीं लिया गया था, लेकिन इसे लेकर शिंदे गुट के शिवसैनिकों ने मुंबई स्थित हैबिटैट स्टूडियो में तोड़फोड़ की, जहां कामरा ने परफॉर्म किया था। इस घटना के बाद स्टूडियो को अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा।

इस विवाद का राजनीतिक परिप्रेक्ष्य भी उल्लेखनीय है। एकनाथ शिंदे, जिन्होंने 2022 में पार्टी विभाजन के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, बाद में एक नई सरकार में उपमुख्यमंत्री बने। उन्होंने जहां अपने समर्थकों की हिंसा से दूरी बनाई, वहीं कामरा की प्रस्तुति को “घटिया और आपत्तिजनक” बताया।

कामरा ने मुंबई पुलिस के समन पर अभी तक पेशी नहीं दी है। उन्होंने राजनीतिक दलों के सदस्यों से मिली जान से मारने की धमकियों का हवाला देते हुए कानूनी प्रक्रिया के लिए अतिरिक्त समय की मांग की है।

विवादों के बावजूद कामरा का यह प्रदर्शन ऑनलाइन जमकर वायरल हो रहा है। यूट्यूब पर महज़ दो दिनों में उनके वीडियो को 60 लाख से अधिक बार देखा गया है और 58,000 से अधिक टिप्पणियां मिली हैं। हजारों लोगों ने कामरा के पक्ष में आर्थिक सहयोग भी किया है और माफ़ी न मांगने के उनके फैसले का समर्थन जताया है।

READ ALSO  क्या सीआरपीसी की धारा 91 के तहत पारित आदेश के खिलाफ पुनरीक्षण पोषणीय है? जानें हाई कोर्ट का निर्णय
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles