इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शुक्रवार को मथुरा स्थित कृष्ण जन्मभूमि–शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में अगली सुनवाई की तारीख 30 जनवरी तय की।
मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति अवनीश सक्सेना ने आज कार्यवाही के दौरान याचिकाओं में किए गए कुछ संशोधनों से संबंधित दस्तावेजों का सत्यापन किया।
इससे पहले अदालत ने रिकॉर्ड को अत्यंत विस्तृत बताते हुए सभी पक्षों को निर्देश दिया था कि वे लंबित आवेदनों पर अपनी आपत्तियां दाखिल करें, ताकि उन पर शीघ्र निर्णय लिया जा सके। अदालत ने कहा था, “रिकॉर्ड अत्यंत विशाल है। वाद के पक्षकार सभी लंबित आवेदनों पर आपत्तियां दाखिल करें, ताकि आवेदनों का शीघ्र निस्तारण किया जा सके।”
इस विवाद से जुड़े मामलों में हिंदू पक्ष की ओर से कुल 18 वाद दाखिल किए गए हैं, जिनमें शाही ईदगाह मस्जिद की संरचना हटाने के बाद भूमि पर कब्जा, मंदिर की पुनर्स्थापना और स्थायी निषेधाज्ञा की मांग की गई है।
मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ 1 अगस्त 2024 को आया था, जब हाई कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की ओर से दायर उन आवेदनों को खारिज कर दिया था, जिनमें हिंदू उपासकों द्वारा दाखिल वादों की पोषणीयता को चुनौती दी गई थी। अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि हिंदू उपासकों द्वारा दायर सभी वाद पोषणीय हैं।
उसी आदेश में अदालत ने यह भी स्पष्ट किया था कि ये वाद न तो सीमा अधिनियम, न वक्फ अधिनियम और न ही उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम, 1991 से बाधित हैं। उल्लेखनीय है कि उपासना स्थल अधिनियम, 1991, 15 अगस्त 1947 को अस्तित्व में रहे किसी भी धार्मिक स्थल के स्वरूप में परिवर्तन पर रोक लगाता है।
यह विवाद मुगल काल में औरंगज़ेब के समय निर्मित मानी जाने वाली शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़ा है। हिंदू पक्ष का दावा है कि यह मस्जिद भगवान श्रीकृष्ण के जन्मस्थान पर स्थित मंदिर को ध्वस्त कर उसके ऊपर बनाई गई थी।
मामले की आगे की सुनवाई अब 30 जनवरी को होगी।

