पहलगाम में आतंकी हमले में केरल हाईकोर्ट के तीन जज बाल-बाल बचे

जम्मू-कश्मीर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल पहलगाम में मंगलवार को हुए एक भीषण आतंकी हमले में 28 से अधिक पर्यटकों की जान चली गई। इस हमले को 2019 के पुलवामा हमले के बाद घाटी में सबसे घातक आतंकी वारदात बताया जा रहा है। इस हमले में केरल हाईकोर्ट के तीन जज — जस्टिस अनिल के. नरेंद्रन, जस्टिस जी. गिरीश और जस्टिस पी. जी. अजितकुमार — बाल-बाल बच गए। वे अपने परिवार के साथ अवकाश पर जम्मू-कश्मीर की यात्रा पर थे।

यह हमला मंगलवार दोपहर लगभग 1:30 बजे बाइसारन घास के मैदान में हुआ, जो पहलगाम से लगभग 7 किलोमीटर दूर स्थित एक दर्शनीय स्थल है। यह इलाका बर्फ से ढकी पहाड़ियों और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है।

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छुट्टियां मना रहे जजों के श्रीनगर में मौजूद होने की पुष्टि केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने की। उन्होंने अपने बयान में कहा, “केरल हाईकोर्ट के जज — जस्टिस अनिल के. नरेंद्रन, पी. जी. अजितकुमार और जी. गिरीश — के साथ-साथ विधायक एम. मुकेश, के. पी. ए. मजीद, टी. सिद्दीकी और के. अंसलन श्रीनगर में मौजूद हैं और सुरक्षित हैं।” मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि सभी बुधवार तक केरल लौट आएंगे।

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प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हमला करने वाले छह आतंकी सैनिकों की वर्दी में आए थे। रिपोर्ट्स के अनुसार, ये आतंकी विदेशी नागरिक थे और उन्होंने पीड़ितों से उनका नाम पूछकर इस्लामिक आयतें पढ़ने के लिए कहा। ऐसा न कर पाने पर उन्हें बेहद नजदीक से गोली मार दी गई, जिससे इस हमले को धार्मिक पहचान के आधार पर निशाना बनाए गए हमले के रूप में देखा जा रहा है।

हालांकि इलाके में पहले से सुरक्षा व्यवस्था कड़ी थी, जिसमें कई चौकियां और सशस्त्र गश्त शामिल थीं, फिर भी आतंकी इस क्षेत्र में घुसपैठ करने और बड़ी संख्या में हत्याएं करने में सफल रहे। इस हमले ने पूरे क्षेत्र को सदमे में डाल दिया है।

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भारतीय सेना की चिनार कोर ने देर रात जारी एक बयान में कहा, “सर्च ऑपरेशन जारी है और हमलावरों को पकड़ने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं।” सुरक्षा बलों ने आसपास के क्षेत्रों में व्यापक तलाशी अभियान शुरू कर दिया है।

यह हमला आतंकवाद के उस स्थायी खतरे की एक और भयावह याद दिलाता है जो घाटी में अब भी मंडरा रहा है — खासकर उन स्थानों पर जो पर्यटकों के लिए सुरक्षित माने जाते हैं। हमले की सुनियोजित शैली और धार्मिक आधार पर निशाना बनाने की रणनीति ने क्षेत्र में साम्प्रदायिक सौहार्द और पर्यटन को बाधित करने की आतंकियों की मंशा पर गहरी चिंता पैदा कर दी है।

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