केरल हाईकोर्ट ने सोमवार को केरल राज्य विद्युत विनियामक आयोग (नवीकरणीय ऊर्जा एवं संबंधित विषय) विनियम, 2024 की अधिसूचना पर सभी कार्यवाही और उसके क्रियान्वयन पर अंतरिम रोक लगा दी।
न्यायमूर्ति मोहम्मद नियाज़ सी. पी. की एकल पीठ ने 5 नवंबर को केएसईआरसी द्वारा जारी अधिसूचना के संचालन, प्रवर्तन और सभी आगे की कार्यवाही पर रोक लगाने का आदेश दिया।
यह आदेश डोमेस्टिक ऑन-ग्रिड सोलर पावर प्रोस्यूमर्स फोरम की याचिका पर आया, जिसमें विनियमों के मसौदे और केएसईआरसी सदस्यों की नियुक्ति दोनों को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि स्वतंत्र नियामक निकाय केरल स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (KSEB) के प्रभाव में आ गया है।
सोलर उपभोक्ताओं ने नए विनियमों का विरोध करते हुए कहा कि इनमें नेट मीटरिंग प्रणाली को 3 किलोवाट तक सीमित कर दिया गया है और ग्रिड में भेजी गई प्रत्येक यूनिट पर अतिरिक्त शुल्क लगाया गया है, जिससे घरेलू सौर ऊर्जा को अपनाने की प्रक्रिया हतोत्साहित होगी।
अदालत ने कहा कि 3 नवंबर को हुई पिछली सुनवाई के दौरान केएसईआरसी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ने यह आश्वासन दिया था कि जब तक सार्वजनिक आपत्तियों पर विचार नहीं हो जाता, तब तक कोई अधिसूचना जारी नहीं की जाएगी — जिसमें लगभग एक महीने का समय लगने की उम्मीद थी।
हालांकि, इस आश्वासन और अदालत के अंतरिम आदेश के बावजूद, आयोग ने 5 नवंबर को अधिसूचना जारी कर दी।
अदालत ने कहा, “चूंकि मामला अब इस न्यायालय के समक्ष सुनवाई के लिए निर्धारित है, इसलिए प्रतिवादी क्रमांक 1 से 3 को निर्देश दिया जाता है कि वे याचिका में लगाए गए आरोपों के प्रत्युत्तर में अपने काउंटर हलफनामे दाखिल करें, ताकि न्यायालय 5 नवंबर की अधिसूचना की वैधता और विधिकता पर विचार कर सके।”
इस मामले की अगली सुनवाई 1 दिसंबर को होगी, जब अदालत प्रतिवादियों के हलफनामों पर विचार करेगी और विनियमों की वैधता पर निर्णय लेगी।




