केरल हाईकोर्ट ने बुधवार को त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड (TDB) की ओर से सबरीमला के पंबा में आयोजित किए जाने वाले ग्लोबल अयप्पा संगमम कार्यक्रम के खिलाफ दायर जनहित याचिका को स्वीकार कर लिया।
यह याचिका अजीश कलाथिल गोपी ने स्वयं पेश होकर दायर की। उन्होंने दलील दी कि प्रस्तावित कार्यक्रम वास्तव में एक राजनीतिक सभा है, जिसे भगवान अयप्पा के नाम पर आयोजित नहीं किया जाना चाहिए।
इस पर जवाब देते हुए टीडीबी ने कहा कि संगमम का उद्देश्य सबरीमला को एक वैश्विक तीर्थस्थल के रूप में प्रस्तुत करना और “तत्त्वमसि” के सार्वभौमिक संदेश के जरिए सद्भाव और एकता को बढ़ावा देना है। बोर्ड ने यह भी स्पष्ट किया कि कार्यक्रम उसके प्लैटिनम जुबली समारोहों का हिस्सा है।

जस्टिस देवन् रामचंद्रन और जस्टिस श्याम कुमार वी. एम. की खंडपीठ ने टीडीबी की इस बात को दर्ज किया कि न तो सार्वजनिक धन और न ही मंदिर की आय इस आयोजन में खर्च की जाएगी, बल्कि पूरा खर्च प्रायोजन (स्पॉन्सरशिप) से ही पूरा किया जाएगा।
हालांकि, अदालत ने फंडिंग में पारदर्शिता की आवश्यकता पर बल दिया। अदालत ने कहा, “यह मुद्दा अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि जैसा कि अब टीडीबी कह रहा है, ‘प्रायोजन’ केवल सत्यापित और विश्वसनीय स्रोतों से ही होना चाहिए।”
पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि टीडीबी को अपनी सभी गतिविधियां त्रावणकोर-कोचीन हिंदू धार्मिक संस्थान अधिनियम, 1950 के दायरे में ही रखनी होंगी। “उन्हें ध्यान रखना होगा कि उनकी जिम्मेदारियां केवल अधिनियम के अंतर्गत धार्मिक संस्थानों तक ही सीमित हैं और उन्हें देवता के असंख्य भक्तों की आस्था और विश्वास का पूर्ण पालन करना होगा,” अदालत ने कहा।
राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि उसका दायित्व केवल भीड़ प्रबंधन तक सीमित रहेगा, क्योंकि पंबा के तट पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के जुटने की संभावना है। पंबा को भक्त “दक्षिणा गंगा” के रूप में पूजते हैं।
हाईकोर्ट ने टीडीबी को कार्यक्रम की पूरी जानकारी, जिसमें उसका विस्तृत कार्यक्रम और वित्तीय स्रोत शामिल हैं, रिकॉर्ड पर पेश करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 9 सितम्बर को होगी।