केरल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है जिसमें राज्य सरकार को नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की सिफारिशों को लागू करने का निर्देश देने की मांग की गई है, ताकि राज्य में बढ़ते मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोका जा सके।
यह याचिका पशु अधिकार कार्यकर्ता एंजेल्स नायर ने दायर की है, जिसमें कहा गया है कि जुलाई 2023 में केरल विधानसभा में प्रस्तुत CAG की रिपोर्ट में “मानव-वन्यजीव संघर्ष के संबंध में निवारक और शमन उपायों के कार्यान्वयन” से जुड़ी सिफारिशें शामिल थीं। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से आग्रह किया है कि सरकार को इन सिफारिशों को तत्काल प्रभाव से लागू करने का निर्देश दिया जाए ताकि किसानों और वनवासी समुदायों को जंगली जानवरों के हमलों से बचाया जा सके।
कोझिकोड पंचायत के खिलाफ कार्रवाई की मांग
याचिका में कोझिकोड जिले की चक्कीत्तापारा ग्राम पंचायत के उस प्रस्ताव को भी चुनौती दी गई है जिसमें गांव में घुसने वाले जंगली जानवरों को मारने के लिए 20 शूटरों की नियुक्ति की बात कही गई है। नायर ने इसे “राष्ट्र-विरोधी” और “देशद्रोह” करार देते हुए पंचायत समिति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

उनका तर्क है कि इस तरह के कदम वन्यजीव संरक्षण कानूनों का उल्लंघन हैं और इससे मानव और जानवर दोनों की जान खतरे में पड़ सकती है।
वन विभाग की रैपिड रिस्पॉन्स टीम की कार्रवाई पर रोक की मांग
याचिका में वन विभाग की रैपिड रिस्पॉन्स टीम (RRT) द्वारा हाथियों को भगाने के तरीकों पर भी सवाल उठाया गया है। नायर का कहना है कि टीम द्वारा हाथियों के मार्गों पर अवैज्ञानिक ढंग से लगाई गई बैरिकेडिंग और हाथियों को डराने की विधियां वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत “शिकार” की परिभाषा में आती हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसी कार्रवाइयों से हाथियों में आक्रोश पैदा होता है जिससे वे और अधिक आक्रामक होकर इंसानों पर हमला करते हैं।
वन्यजीव आवासों के पुनर्स्थापन की अपील
याचिकाकर्ता ने दीर्घकालिक समाधान के रूप में वन्यजीवों के प्राकृतिक आवासों के पुनर्स्थापन और संरक्षण की भी मांग की है। उनका कहना है कि जब तक जंगलों को संरक्षित और पुनर्जीवित नहीं किया जाएगा, तब तक जानवर भोजन और आश्रय की तलाश में मानव बस्तियों में घुसते रहेंगे।