केरल हाईकोर्ट ने सहायक प्रजनन प्रक्रिया के लिए गंभीर रूप से बीमार पति से युग्मक निकालने की अनुमति दी

केरल हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में एक निःसंतान महिला को उसके गंभीर रूप से बीमार पति के युग्मक निकालने और क्रायोप्रिजर्वेशन की अनुमति देकर अंतरिम राहत प्रदान की है, जिससे उसे गर्भधारण के लिए सहायक प्रजनन तकनीक (एआरटी) के माध्यम से आगे बढ़ने की अनुमति मिल गई है।

न्यायमूर्ति वी.जी. अरुण ने 16 अगस्त को पत्नी द्वारा दायर याचिका के जवाब में यह आदेश जारी किया, जिसमें उसने अपने पति की बिगड़ती चिकित्सा स्थिति के कारण सहमति प्रदान करने में असमर्थता के बावजूद उसके युग्मक को संरक्षित करने की अनुमति मांगी थी। याचिका में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि एआरटी विनियमन अधिनियम के तहत पति से सूचित लिखित सहमति प्राप्त करना, उसकी गंभीर स्थिति को देखते हुए असंभव था।

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अदालत ने, इसमें शामिल तात्कालिकता और समानता को ध्यान में रखते हुए, अस्पताल द्वारा युग्मक निकालने और संरक्षित करने की अनुमति दी। हालांकि, अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि एआरटी विनियमन अधिनियम के तहत कोई भी आगे की प्रक्रिया उसकी स्पष्ट अनुमति के बिना नहीं की जानी चाहिए।

मामले की अगली सुनवाई 9 सितंबर को निर्धारित की गई है, जहां अदालत अतिरिक्त निर्देश जारी कर सकती है।

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