इंजीनियरिंग दाखिले के लिए केरल सरकार की नई मूल्यांकन नीति को बड़ा झटका देते हुए केरल हाईकोर्ट ने बुधवार को KEAM 2025 की रैंक सूची को रद्द कर दिया और अधिकारियों को संशोधित रैंक सूची जारी करने का आदेश दिया। अदालत ने पाया कि अंतिम क्षणों में स्कोरिंग फॉर्मूला में किया गया बदलाव सीबीएसई छात्रों के लिए अनुचित साबित हुआ।
यह फैसला न्यायमूर्ति डी.के. सिंह ने उस याचिका पर सुनाया जो हाना फातिमा नामक एक सीबीएसई प्लस टू छात्रा द्वारा दायर की गई थी। याचिका में केरल इंजीनियरिंग, आर्किटेक्चर और मेडिकल (KEAM) प्रवेश परीक्षा की रैंक सूची तैयार करने में अपनाए गए नए फॉर्मूले को चुनौती दी गई थी।
राज्य सरकार ने यह नया मूल्यांकन फॉर्मूला उस लंबे समय से चली आ रही शिकायत के मद्देनज़र लागू किया था जिसमें केरल बोर्ड के छात्र यह आरोप लगाते रहे कि पहले प्लस टू और प्रवेश परीक्षा के अंकों के समेकन से सीबीएसई छात्रों को 15 से 20 अंकों तक का अनुचित लाभ मिल रहा था। नए फॉर्मूले का उद्देश्य स्कोरिंग में समानता लाना और केरल बोर्ड के छात्रों को अधिक वरीयता देना था।

हालांकि, हाईकोर्ट ने इस बदलाव को प्रक्रिया के अंतिम चरण में बिना पूर्व सूचना के लागू करने को गलत बताया। अदालत ने कहा कि इस तरह से प्रवेश पुस्तिका में किया गया अंतिम समय का संशोधन न केवल अनुचित था, बल्कि इससे सीबीएसई छात्रों को पहले प्राप्त लाभ से भी वंचित कर दिया गया।
“राज्य द्वारा अपनाया गया तरीका सीबीएसई छात्रों को उनके उचित वेटेज से वंचित करता है,” अदालत ने यह टिप्पणी करते हुए निर्देश दिया कि KEAM रैंक सूची को मूल प्रवेश पुस्तिका के नियमों के अनुसार फिर से तैयार किया जाए।
फैसले के बाद केरल सरकार ने तुरंत एकल पीठ के निर्णय के खिलाफ अपील दाखिल की है, जिस पर गुरुवार को डिवीजन बेंच सुनवाई करेगी।