कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को राज्य परिवहन कर्मचारियों की हड़ताल पर कड़ी नाराज़गी जताई और स्पष्ट रूप से कहा कि यह अदालत के अंतरिम आदेश और आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम (ESMA) के उल्लंघन के समान है। अदालत ने हड़ताल जारी रखने पर यूनियन नेताओं के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की चेतावनी दी।
मुख्य न्यायाधीश विवु बखरू और न्यायमूर्ति सी.एम. जोशी की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि सार्वजनिक परिवहन जैसी आवश्यक सेवाओं में हड़ताल बर्दाश्त नहीं की जा सकती, खासकर तब जब ESMA लागू हो चुका हो और अदालत ने पहले ही हड़ताल पर रोक लगाई हो।
इस सख्त रुख के बाद KSRTC स्टाफ एंड वर्कर्स फेडरेशन ने 7 अगस्त तक के लिए हड़ताल स्थगित करने की घोषणा की। फेडरेशन के अध्यक्ष एच.वी. अनंथा सुब्बाराव ने बेंगलुरु में बताया कि सभी कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से काम पर लौटने के निर्देश दे दिए गए हैं।

अदालत ने अपने पहले के अंतरिम आदेश को दो दिन और बढ़ाते हुए यूनियनों को निर्देश दिया कि वे बुधवार तक हलफनामा दाखिल कर यह पुष्टि करें कि हड़ताल स्थगित कर दी गई है।
सुनवाई के दौरान राज्य के महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि हड़ताल के चलते आम जनता को भारी परेशानी उठानी पड़ी है। अदालत के सवाल पर सरकार ने पूर्व में यूनियनों के साथ हुई बातचीत का विवरण भी प्रस्तुत किया।
अदालत ने कहा कि यदि कोई मुद्दे हैं तो उन्हें सरकार से बातचीत के ज़रिए सुलझाया जाना चाहिए। साथ ही यह भी कहा कि ESMA लागू होने के बावजूद हड़ताल पर जाना कानून का उल्लंघन है।
अदालत ने राज्य की चारों परिवहन निगमों की यूनियनों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। संयुक्त कार्रवाई समिति की ओर से पेश वकील ने आश्वासन दिया कि बुधवार को हड़ताल जारी नहीं रहेगी।
अदालत ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि यदि हड़ताल फिर शुरू की गई, तो राज्य सरकार को ESMA के तहत आवश्यक कानूनी कार्रवाई करने की पूरी छूट होगी।
अब मामले की अगली सुनवाई 7 अगस्त को होगी।