कर्नाटक हाईकोर्ट ने दूसरे उप-लोकायुक्त की नियुक्ति की मांग वाली एक याचिका पर गुरुवार को राज्य सरकार को नोटिस जारी किया।
हुबली स्थित एनजीओ समाज परिवर्तन समुदाय द्वारा दायर याचिका मुख्य न्यायाधीश प्रसन्ना बी वराले की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई।
याचिका में कहा गया है, “यह प्रस्तुत किया गया है कि यदि दूसरा उप-लोकायुक्त, जैसा कि 1984 में स्वीकृत किया गया था, नियुक्त नहीं किया जाता है, तो लोकायुक्त संस्था भारी लंबितता के कारण अपने जनादेश को जारी रखने में असमर्थ होगी, जिससे इसकी उपयोगिता प्रभावित होगी।”
याचिका में कहा गया है कि जहां एक लोकायुक्त और एक उप-लोकायुक्त की नियुक्ति की गई है, वहीं दूसरे उप-लोकायुक्त के नहीं होने से संस्था का काम प्रभावित हो रहा है।
याचिका में कहा गया है, “कई वर्षों और महीनों के दौरान शिकायतों में बड़ी वृद्धि हुई है। लंबितता इतनी अधिक है और यदि कोई दूसरा उप-लोकायुक्त जल्द ही नियुक्त नहीं किया जाता है तो आने वाले महीनों में यह बढ़ जाएगा।”
याचिका में आगे कहा गया है, “यह उनके माननीय न्यायालय के हस्तक्षेप का अनुरोध करता है कि प्रतिवादी को जल्द से जल्द कर्नाटक लोकायुक्त अधिनियम के तहत संस्थान में दूसरा उप-लोकायुक्त (अब खाली पद) नियुक्त करने और इस तरह के अन्य आदेश पारित करने का निर्देश दिया जाए या आदेश जैसा कि यह माननीय न्यायालय मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में प्रदान करने के लिए उचित समझे।”