कर्नाटक हाईकोर्ट ने 4 जून को एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) की जीत के जश्न के दौरान हुई भगदड़ की पृष्ठभूमि में राज्य सरकार की भीड़ नियंत्रण संबंधी मानक संचालन प्रक्रियाओं (SOPs) की जांच करने का निर्णय लिया है। इस हादसे में 11 लोगों की मौत हो गई थी और कई घायल हुए थे।
मुख्य न्यायाधीश विवु बखरू और न्यायमूर्ति सीएम जोशी की खंडपीठ ने राज्य के महाधिवक्ता शशिकिरण शेट्टी से पूछा कि क्या इस तरह के बड़े सार्वजनिक आयोजनों के लिए कोई SOP मौजूद है। अदालत ने हाल ही में हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में हुई भगदड़ की घटना का भी हवाला दिया और ऐसे आयोजनों के लिए ठोस प्रोटोकॉल की आवश्यकता पर बल दिया।
महाधिवक्ता शेट्टी ने बताया कि राज्य सरकार ने 1 जुलाई को एक संशोधित SOP जारी किया है, जिसे अदालत में पेश करने के लिए समय मांगा गया। अदालत ने यह अनुरोध स्वीकार कर लिया।

सरकार के अनुसार, नई SOP में “पूर्व नियोजन, विभागों के बीच समन्वय, व्यवहारिक जोखिम आकलन, जीवन सुरक्षा को प्राथमिकता और स्थिति नियंत्रण” जैसे प्रावधानों पर विशेष बल दिया गया है।
राज्य सरकार ने यह भी सूचित किया कि 4 जून की भगदड़ पर बनी न्यायिक आयोग की जांच पूरी हो चुकी है और रिपोर्ट कैबिनेट के समक्ष रखी जा चुकी है, लेकिन इस पर अभी चर्चा नहीं हुई है।
इस बीच, आयोजन से जुड़ी डीएनए एंटरटेनमेंट नेटवर्क्स—जो इस स्वप्रेरित जनहित याचिका में एक पक्ष है—के वरिष्ठ अधिवक्ता संपत कुमार ने अदालत से शिकायत की कि मीडिया में रिपोर्ट की जानकारी पहले से उपलब्ध है, जबकि मामले के पक्षकारों को अब तक यह रिपोर्ट नहीं दी गई है। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि राज्य सरकार को उनके मुवक्किल को पूरी रिपोर्ट की प्रति देने का निर्देश दिया जाए।
कुमार ने यह दलील एक अन्य पीठ के समक्ष भी रखी, जहां न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी और न्यायमूर्ति उमेश अडिगा डीएनए द्वारा आयोग की जांच और रिपोर्ट को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। इस पीठ ने कहा कि वह डीएनए की दलीलों पर विचार करेगी, लेकिन फिलहाल राज्य सरकार को रिपोर्ट की एक प्रति “केवल अदालत की निगाहों के लिए” पेश करने का निर्देश दिया, ताकि वह अपने निर्णय में इसका उपयोग कर सके। महाधिवक्ता ने सहमति देते हुए कहा कि वह 5 अगस्त तक रिपोर्ट अदालत को सौंप देंगे।
वहीं, गृह मंत्री जी परमेश्वर ने कहा कि निलंबन रद्द किए गए बेंगलुरु के पूर्व पुलिस आयुक्त बी. दयानंद को वापस उसी पद पर बहाल नहीं किया जाएगा। उन्हें उनकी रैंक के अनुरूप कोई अन्य पदभार सौंपा जाएगा।