कर्नाटक हाईकोर्ट ने गुरुवार को केंद्रीय मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वामी को अंतरिम राहत देते हुए उनके खिलाफ शुरू की गई विशेष जांच टीम (SIT) की जांच पर रोक लगा दी है। यह जांच रामनगर जिले के केठगनहल्ली गांव में कथित भूमि अतिक्रमण से संबंधित है।
न्यायमूर्ति ई. एस. इंदिरेश की एकल पीठ ने यह टिप्पणी की कि SIT के गठन के लिए जारी सरकारी आदेश के साथ कोई औपचारिक अधिसूचना संलग्न नहीं थी। इस प्रक्रियात्मक त्रुटि को ध्यान में रखते हुए, कोर्ट ने SIT के गठन और कुमारस्वामी को भेजे गए समन—दोनों पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी।
कर्नाटक सरकार ने जनवरी 2025 में इस SIT का गठन किया था, ताकि यह जांच की जा सके कि क्या कुमारस्वामी ने रामनगर जिले में अवैध रूप से भूमि पर कब्जा किया है। रामनगर को जेडी(एस) नेता का गढ़ माना जाता है। इस आदेश को चुनौती देते हुए कुमारस्वामी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की और SIT के गठन की वैधानिकता व प्रक्रिया पर सवाल उठाए।

कोर्ट में कुमारस्वामी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता उदय होल्ला और अधिवक्ता निशांत एवी ने पक्ष रखा। वहीं, हाईकोर्ट ने सरकार के वकील को भी याचिका पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
यह फैसला कुमारस्वामी के लिए एक अस्थायी राहत के रूप में देखा जा रहा है, जिन्होंने इस जांच को लगातार राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कुमारस्वामी ने कहा है कि संबंधित भूमि उन्होंने 1984 में कानूनी रूप से खरीदी थी।
रामनगर में चल रहे भूमि सर्वेक्षण को लेकर उन्होंने पहले भी कहा था कि यह पूरी प्रक्रिया राजनीतिक प्रेरणा से की जा रही है। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा था, “पहले SIT का नेतृत्व आईपीएस अधिकारी करते थे, अब आईएएस अधिकारी कर रहे हैं।”
उन्होंने यह भी दावा किया कि उनके खिलाफ की गई शिकायतें निराधार हैं और उनके पास ऐसे दस्तावेजी साक्ष्य हैं जो अन्य लोगों की संलिप्तता को दर्शाते हैं। कुमारस्वामी ने कहा, “मैंने सिद्धारमैया की तरह सरकारी जमीन नहीं लूटी है। जांच करवा लें, मुझे कुछ भी छिपाना नहीं है।”
इस मामले में अगली सुनवाई राज्य सरकार के जवाब दाखिल करने के बाद की जाएगी।